हवा में क्या हुआ? जानें ब्लैक बॉक्स कैसे बताएगा अहमदाबाद क्रैश की पूरी कहानी
अहमदाबाद: आज अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है। यह विमान, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI171), अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद मेघनीनगर क्षेत्र में गिर गया। विमान में 242 यात्री और क्रू सदस्य सवार थे, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे।
12 जून 2025 को दोपहर लगभग 1:38 बजे एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी। हालांकि, टेकऑफ के महज 5 मिनट बाद ही विमान मेघनीनगर के पास एक आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे के बाद विमान में भीषण आग लग गई, जिससे आसमान में काला धुआं फैल गया।
सोशल मीडिया पर शेयर की गई वीडियोज में जलते हुए मलबे और मौके पर हड़कंप मचा हुआ दिखाई दिया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना में 133 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि कई घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। मौके पर राहत कार्य के लिए सात फायर ब्रिगेड की टीमें और कई एंबुलेंस पहुंची थीं।
खबरों के अनुसार, विमान ने क्रैश होने से पहले ‘मेडे कॉल’ (आपातकालीन संकेत) भेजा था, जिससे पता चलता है कि पायलट को विमान में किसी गंभीर तकनीकी खराबी का पता चल गया था।
इस दुखद हवाई हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हर बार की तरह, इस बार भी यह सवाल उठता है कि आखिर हादसा हुआ क्यों? इस रहस्य से पर्दा उठाने में “ब्लैक बॉक्स” की अहम भूमिका होती है। ब्लैक बॉक्स एक ऐसा यंत्र है, जो विमान के उड़ान से जुड़ी तमाम अहम जानकारियां रिकॉर्ड करता है। आइए जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स कैसे विमान हादसे की सच्चाई सामने लाने में मदद करता है।
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ब्लैक बॉक्स दरअसल दो डिवाइसेज का एक समूह होता है – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। इनका रंग नारंगी होता है ताकि किसी दुर्घटना के बाद मलबे में इन्हें आसानी से खोजा जा सके।
विमान के ब्लैक बॉक्स से हादसे से पहले की स्थिति का पता चलता है, जिससे यह जानकारी मिलती है कि दुर्घटना का कारण तकनीकी खराबी थी, पायलट की गलती थी या कोई बाहरी कारण। ब्लैक बॉक्स काफी मजबूत होता है और 1100 डिग्री सेल्सियस के तापमान, 6000 मीटर की समुद्री गहराई और भारी झटकों को सहन कर सकता है। साथ ही, यह 30 दिनों तक लगातार सिग्नल भेजता रहता है, जिससे इसे ढूंढने में मदद मिलती है।