NSA अजीत डोभाल व खालिस्तानी अलगाववादी पन्नू
कैलीफोर्नियां: अमेरिका की एक अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने कहा था कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को फरवरी में वाशिंगटन यात्रा के दौरान अदालती समन दिया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि डोभाल तक कोई कानूनी दस्तावेज नहीं पहुंचा था और न ही इसे किसी अधिकृत अधिकारी को सौंपा गया था। पन्नू ने दावा किया था कि उसने दो वकीलों और एक जांचकर्ता को इस काम के लिए नियुक्त किया था, लेकिन ब्लेयर हाउस के बाहर कड़ी सुरक्षा के चलते समन सौंपा नहीं जा सका।
बता दें कि आरोप इस तरह से लग रहे थे चूकिं 12 फरवरी को पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर थे वे वहां के राष्ट्रपति भवन के अतिथि भवन के ब्लेयर हाउस में प्रतिनिधिमंडल के साथ रुके हुए थे। इसी यात्रा पर पीएम के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। उसी समय यह समन देने के आरोप लगाए गए।
न्यायाधीश कैथरीन पोल्क फैला ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि समन किसी होटल स्टाफ या सुरक्षा अधिकारी को नहीं दिया गया था। अदालत ने यह भी माना कि ब्लेयर हाउस के बाहर मौजूद सीक्रेट सर्विस एजेंट ने दस्तावेज स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। बता दें कि पन्नू ने इन गंभीर आरोपों को लगाते हुए कहा था कि अजीत डोभाल को 13 फरवरी के यह दस्तावेज देने के लिए ऑफिशियल गए हुये थे। लेकिन अतिथि भवन के अंदर उन्हें नहीं जाने दिया गया, तो फिर यह दस्तावेज अधिकारी ब्लेयर हाउस के कॉफी स्टोर में ही छोड़कर चले गये थे।
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पन्नू ने डोभाल और निखिल गुप्ता के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया था, लेकिन अदालत ने उसके दावों को ठोस सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। पन्नू ने यह भी कहा कि उसने दस्तावेज एक कॉफी स्टोर में छोड़ दिए थे, लेकिन अदालत ने इसे समन देने की वैध प्रक्रिया नहीं माना। इस फैसले से यह साफ हो गया कि डोभाल के खिलाफ पन्नू की साजिशें लगातार नाकाम हो रही हैं।