ताशी नामग्याल (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की सबसे पहले सूचना देने वाले लद्दाख के चरवाहे ताशी नामग्याल का निधन हो गया है। लेह स्थित भारतीय सेना के 14वीं कोर मुख्यालय ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर उनके निधन की खबर साझा की।
कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। यह युद्ध जम्मू-कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में लड़ा गया था। इस युद्ध के कई नायक थे और हैं जिनसे आप परिचित होंगे, लेकिन चरवाहे ताशी नामग्याल का नाम भी उनमें शामिल है। जिन्हें आप शायद ही जानते हों!
नामग्याल के निधन पर सेना ने कहा, “ऑपरेशन विजय 1999 के दौरान राष्ट्र के लिए उनकी अमूल्य सेवा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगी। दुख की इस घड़ी में हम शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
A PATRIOT PASSES
Braveheart of Ladakh – Rest in Peace
Fire and Fury Corps pays tribute to Mr Tashi Namgyal on his sudden demise. His invaluable contribution to the nation during Op Vijay 1999 shall remain etched in golden letters. We offer deep condolences to the bereaved… pic.twitter.com/jmtyHUHNfB
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) December 20, 2024
ताशी नामग्याल अपने लापता याक की तलाश में निकले थे, तभी उन्होंने पठान पोशाक में पाकिस्तानी सेना के सैनिकों को देखा। उन्होंने देखा कि पाकिस्तानी सेना बटालिक पर्वत श्रृंखला पर बंकर खोद रही थी। नामग्याल ने इस घुसपैठ की जानकारी भारतीय सेना को दी।
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इसके बाद भारतीय सेना ने घुसपैठ की जांच शुरू की और पाया कि पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी एलओसी पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं। उनकी बुद्धिमत्ता के कारण भारत समय रहते इस साजिश का जवाब दे सका और इसके बाद ही ऑपरेशन विजय शुरू हुआ।
मई-जुलाई 1999 के बीच चलाए गए ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया था। यह युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास के सबसे गौरवशाली अध्यायों में से एक है। भारतीय सेना और लद्दाख के लोग ताशी नामग्याल के योगदान को हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने न केवल घुसपैठ को रोका, बल्कि अपनी सूझबूझ और साहस से देश की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाई।