
मनमोहन सिंह, (पूर्व प्रधानमंत्री)
नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। गुरुवार को रात 9.51 बजे 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। गुरुवार शाम अचानक बेहोश होने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था और यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। इस दुखद खबर के साथ ही उनके कार्यकाल की कई उपलब्धियों की चर्चा हो रही है। दस साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे मनमोहन सिंह कभी भी लोकसभा चुनाव जीतकर संसद नहीं पहुंच सके।
मनमोहन सिंह पहली बार साल 1991 में असम से संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद वह साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुनकर राज्यसभा पहुंचे। इसके अलावा साल 1998 से 2004 तक, जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी तो मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। वहीं, 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने साउथ दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
साल 1999 लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने साउथ दिल्ली सीट पर मनमोहन सिंह को हराया था। बता दें कि मनमोहन सिंह का यह पहला लोकसभा चुनाव था और उन्हें यहां हार मिली थी। विजय कुमार मल्होत्रा की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत आम चुनाव में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारी अंतर से हराना था। मल्होत्रा पिछले 45 वर्षों में दिल्ली से 5 बार सांसद और 2 बार विधायक रहे हैं, जिससे वह राजधानी में भाजपा के सबसे वरिष्ठ व्यक्तियों में से एक बन गए हैं।
इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनमोहन सिंह को कुल 2 लाख 31 हजार 231 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी उम्मीदवार विजय कुमार मल्होत्रा को 2 लाख 61 हजार 230 वोट मिले थे। इस चुनाव के बाद मनमोहन सिंह कभी भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा।
साल 1991 में, भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत के करीब था। भारत का विदेशी भंडार बमुश्किल 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो केवल 2 सप्ताह के आयात के भुगतान के लिए पर्याप्त था, जबकि 2009 में यह 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
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मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और पार्टी को समझाया कि भारत एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। हालांकि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अविनियमन का विरोध किया। इसलिए पी.चिदंबरम और सिंह ने पार्टी को समझाया कि अगर अर्थव्यवस्था को नियंत्रणमुक्त नहीं किया गया तो अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। पार्टी को निराशा हुई, राव ने सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रणमुक्त करने की अनुमति दे दी।






