मनमोहन सिंह की वो इच्छा, जो नहीं हो पाई पूरी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। गुरुवार को रात 9.51 बजे 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। गुरुवार शाम अचानक बेहोश होने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था और यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। इस दुखद खबर के साथ ही उनकी अंतिम इच्छा भी चर्चा में आ गई, जिसके पूरा न होने का मलाल उन्हें ताउम्र रहा।
26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जन्मे मनमोहन सिंह का परिवार बंटवारे के बाद भारत आ गया, लेकिन वहां की यादें उनके जेहन से कभी नहीं गईं। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने अपने एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह की उस इच्छा का जिक्र किया था, जिसे वे पूरा करना चाहते थे, लेकिन हालात ऐसे नहीं थे कि यह पूरी हो सके।
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह की इच्छा का खुलासा करते हुए कहा था, विदेश में काम करने के दौरान मनमोहन सिंह अपने पाकिस्तानी दोस्त के साथ रावलपिंडी गए थे। अपनी यात्रा के दौरान वे उस गुरुद्वारे में भी गए, जहां वे अक्सर बैसाखी के दिन जाते थे, लेकिन वे अपने गांव नहीं जा सके।
मनमोहन सिंह बहुत छोटे थे, जब उनकी मां का निधन हुआ। उनके दादा ने उनका पालन-पोषण किया, लेकिन एक दंगे में उनके दादा की हत्या कर दी गई। इस घटना ने मनमोहन सिंह के मन पर गहरी छाप छोड़ी। इस घटना के बाद वे पेशावर में अपने पिता के पास लौट आए। भारत के विभाजन के समय जब वे हाईस्कूल में थे, तब उन्हें पाकिस्तान छोड़कर अपने पिता के साथ भारत आना पड़ा।
राजीव शुक्ला के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए वे एक बार पाकिस्तान जाना चाहते थे। वे अपना गांव देखना चाहते थे, जहां वे पले-बढ़े थे। वे उस स्कूल को देखना चाहते थे, जहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। एक बार मैं उनके साथ पीएम हाउस में बैठा था। वहां बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे कहा कि वे पाकिस्तान जाना चाहते हैं। जब मैंने उनसे पूछा कि कहां, तो उन्होंने कहा कि वे अपने गांव जाना चाहते हैं। मेरा घर बहुत पहले ही चला गया है जब राजीव शुक्ला ने उनसे पूछा कि क्या वे अपना पुश्तैनी घर देखना चाहते हैं, तो मनमोहन सिंह ने जवाब दिया, मेरा घर बहुत पहले ही चला गया है। अब मेरी इच्छा उस स्कूल को देखने की है, जहां मैंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की।
हालांकि, उन्हें कभी उस स्कूल को देखने का मौका नहीं मिला, जहां उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की, लेकिन पाकिस्तान के गाह गांव के जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की, उसे अब मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल के नाम से जाना जाता है।
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राजा मोहम्मद अली, जो गाह गांव में ही रहते थे और मनमोहन सिंह के सहपाठी थे, ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने चौथी कक्षा तक मनमोहन के साथ पढ़ाई की थी। बाद में मनमोहन सिंह पढ़ाई के लिए चकवाल कस्बे चले गए। देश के बंटवारे के समय उनका परिवार भारत चला गया। लेकिन आज भी गाह गांव के लोग उन्हें याद करते हैं।