डिजिटल अरेस्ट का मामला (कांसेप्ट फोटो)
भोपाल: साइबर ठगी के नए पैटर्न डिजिटल अरेस्ट के मामले में देश में पहली गिरफ्तारी मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस द्वारा की गई है। पुलिस ने भोपाल के बजरिया निवासी प्रमोद कुमार के साथ हुई ठगी के मामले में जांच के दौरान सामने आए यूपी के महोबा से 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक धीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा और दूसरा विकास शाहू है। इनका तीसरा आरोपी अभी फरार है, जिसकी पुलिस को तलाश है। पुलिस का मानना है कि तीसरे आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सकेगा।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी धीरेंद्र एक पीओएस एजेंट है, जो गांव के लोगों को बहलाफुसलाकर उनके आधारकार्ड के जरिए 2 सिम निकालता था। दोनों सिम के लिए वह उनके अलग अलग अगूंठे के निशान लेता था। एक सिम ग्राहक को दे देता था और दूसरी सिम का इस्तेमाल ठगी के लिए किया करता। पीड़ित प्रमोद कुमार से ठगी के लिए उपयोग की गई सिम धीरेंद्र ने महोबा के भाटीपुरा निवासी विकास शाहू को दी थी। कॉल डिटेल के आधार पर जब विकास को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो उसने धीरेंद्र का नाम बताया, जिसके बाद धीरेंद्र को भी गिरफ्तार करने पर पूरे गिरोह का खुलासा हुआ। धीरेंद्र ने करीब 150 सिम साइबर ठगों को बेचे हैं।
एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र चौहान ने बताया कि धीरेंद्र ने इनमें से एक सिम कार्ड उत्तर प्रदेश के कानपुर, घाटमपुर निवासी दुर्गेश सिंह को बेचा था। पुलिस दुर्गेश की तलाश कर रही है और उसकी गिरफ्तारी से पता चलेगा कि उसने अपने साथियों के साथ डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले को अंजाम दिया या सिम कार्ड अन्य धोखेबाजों को बेचे।
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बता दें कि आरोपी धीरेंद्र एक पीओएस एजेंट है, जो गांव के लोगों को बहलाफुसलाकर उनके आधारकार्ड के जरिए 2 सिम निकालता था। दोनों सिम के लिए वह उनके अलग अलग अगूंठे के निशान लेता था। एक सिम ग्राहक को दे देता था और दूसरी सिम का इस्तेमाल ठगी के लिए किया करता।
बता दें कि देश में अब तक डिजिटल अरेस्ट को लेकर कोई कानून नहीं है। इस मामले में भी साइबर क्राइम को तहत गिरफ्तारी हुई है।
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