तमिलनाडु मंत्री ने की कच्चाथीवु वापस लेने की मांग।
चेन्नई : तमिलनाडु में कच्चातीवु द्वीप को लेकर कई बार विवाद छिड़ा है। हालांकि इस पर सीधी बहस में ही केवल भाजपा और कांग्रेस में आरोप और प्रत्यारोप का दौर ही चला है। भारत का हिस्सा रहे कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका को दिए जाने के बाद से यह मुद्दा रह-रहकर गरमाता रहा है। तमिलनाडु के कानून मंत्री ने फिर से इस द्वीप को लेकर आवाज बुलंद की है। प्रदेश के मंत्री एस रघुपति ने कहा है कि कच्चातिवु द्वीप भारत का हिस्सा है। ये हमारा स्थान है और हमें यह वापस चाहिए।
मंत्री ने कहा कि यह द्वीप भारत की अनमोल धरोहर है और इसे यूं ही हम नहीं जाने दे सकते हैं। राज्य सरकार 1974 के समझौते के मुताबिक श्रीलंका को दिए अपने इस द्वीप को फिर से वापस चाहती है। वेज बैंक को कच्चीतीवु द्वीप से जोड़ना हमें कतई मंजूर नहीं है। तमिललाडु विधानसभा में इसे लेकर बुधवार को प्रस्ताव भी पास हुआ है।
तमिलनाडु के मंत्री रघुपति ने कहा कि वेज बैंक कन्याकुमारी के दक्षिण इलाके में देश के मछुआरों के लिए यह तट सोना है। हमारे मछुआरों की आजीविका का साधन है। कई बार उन्हें श्रीलंकाई समुद्री सेना पकड़ लेती है। ये इलाका केप कोमोरिन के पास स्थित है संसाधनों से संपन्न समुद्रीय क्षेत्र है। भारत के विशिष्य आर्थिक क्षेत्र में इसकी गणना होती है। उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से 50 किलोमीटर दूर है और श्रीलंका से इसकी दूरी 80 समुद्री मील पड़ती है तो ये भारत के ज्यादा लाभदायक है। हम अपने ही क्षेत्र में स्वतंत्रता से नहीं रह पा रहे।
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कच्चातीवु द्वीप वास्तव में सोना है। यहां मछलियों के भंडारण की बड़ी खेप मिलती है जो तमिलनाडु सरकार के लिए कमाई का जरिया है। यहां मछलियों के साथ ही विभिन्न प्रकार के सीफूड भी इस द्वीप पर उपलब्ध होते है। भारतीय मछुआरों के समुद्र में मछलियां पकड़ने के बड़े जहाज भी हैं जिससे भारी मात्रा में उनका कारोबार भी होता है। हर साल देश में अरबों डॉलर का सीफूड निर्यात किया जाता है जो कि कच्चातीवु द्वीप के पास के समुद्री क्षेत्र से ही आता है। वर्ष 2015 में तमिलनाडु ने 93,477 टन का रिकॉर्ड सीफूड का निर्यात भी किया था। इससे सरकार को 5000 करोड़ से अधिक की कमाई हुई थी।