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नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह के पंजाब के खडूर साहिब से सांसद के रूप में निर्वाचन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष दावा किया कि संविधान का अनुच्छेद 84 संसद की सदस्यता के लिए योग्यता से संबंधित है और इसके अनुसार कोई व्यक्ति संसद की सदस्यता के लिए तब तक योग्य नहीं होगा जब तक वह भारत का नागरिक न हो।
याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि, “इस मामले में प्रतिवादी संख्या चार (अमृतपाल सिंह) ने कहा था कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा नहीं रखते।” इन पर पीठ ने कहा ,‘‘ आप निर्वाचन याचिका दाखिल करें।” याचिकाकर्ता ने कहा कि वह खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं लेकिन सिंह द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों से “बहुत आहत” हैं।
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बेंच ने कहा, ‘‘ यह साक्ष्य का मामला है। इसके लिए निर्धारित प्रक्रियाएं हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में प्रावधान हैं।” इसके बाद बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, ठधन्यवाद। खारिज की जाती है।”
जेल में बंद कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए बीते 5 जुलाई को पैरोल दी गई थी। सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कथित अपराधों के लिए असम के डिब्रूगढ़ जिले की जेल में बंद हैं। सिंह (31) ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जेल से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
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बता दें कि असम के डिब्रूगढ़ जिले की एक जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक एवं सांसद अमृतपाल सिंह बीते जुलाई को ही पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया था और अपनी हिरासत सहित अपने खिलाफ अधिनियम तहत पूरी कार्यवाही को रद्द करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। खडूर साहिब सीट से सासंद अमृतपाल सिंह ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि उसकी हिरासत ‘‘अवैध” है और इसलिए यह रद्द किया जाना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)