शशि थरूर व डोनाल्ड ट्रंप (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर अलग-अलग तरह की बातें कही जा रहीं है। ट्रंप ने कहा था कि उनके दबाव के चलते ही दोनों देशों के बीच युद्ध विराम संभव हो सका। हालांकि भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संघर्षविराम केवल द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। अब इस मामले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और ट्रंप की टिप्पणी को न केवल निराशाजनक बल्कि भारत की स्थिति को कमजोर करने वाला भी बताया है।
कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय रंग देने वाला ट्रंप का यह रवैया बिलकुल सही नहीं है। शशि थरूर ने ट्रंप के बयान को भारत के लिए नकारात्मक बताते हुए कहा कि यह पाकिस्तान और आतंकवादियों के लंबे समय से चले आ रहे एजेंडे को बल देता है, जिसमें कश्मीर विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना शामिल है। थरूर ने साफ कहा कि भारत इस मुद्दे को हमेशा आंतरिक मामला मानता रहा है और किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं किया। उनका कहना था कि यह पोस्ट भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू पर रखने की कोशिश है, जबकि भारत वर्षों से वैश्विक मंचों पर यह स्पष्ट करता रहा है कि वह आतंक के साथ कोई समानता नहीं चाहता।
सरकार ने खारिज किया ट्रंप का दावा
भारत सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हालिया सैन्य तनाव के दौरान अमेरिका से हुई किसी भी बातचीत में व्यापार या दबाव का कोई मुद्दा नहीं उठा। प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ हुई बातों में कहीं भी संघर्षविराम को लेकर कोई चेतावनी या मध्यस्थता की बात नहीं हुई। यह साफ किया गया कि संघर्षविराम सिर्फ भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत से तय हुआ और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
क्या ट्रंप का दावा सिर्फ राजनीतिक दिखावा था?
ट्रंप ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष नहीं रुका होता तो अमेरिका व्यापार रोक देता। लेकिन इस दावे का भारत की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह बयान घरेलू या वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका मजबूत करने के लिए दिया गया था।