
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
SC/ST Act: आज के जमाने में कोई किसी को भी फंसाने के लिए झूठा केस दर्ज करा देता है। झूठा केस अगर SC/ST एक्ट के तहत दर्ज हो जाए तो चिंता और भी बढ़ जाती है। क्योंकि कानून सख्त है और तुरंत गिरफ्तारी हो सकती है। लोगों को अक्सर समझ नहीं आता कि ऐसी स्थिति में क्या करें और खुद को कैसे बचाएं। यहां आपको खुद को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
अगर कोई आप पर झूठा आरोप लगाता है तो सबसे पहले आपको घबराना नहीं चाहिए। दूसरी बात कानून आपकी रक्षा करता है। आपको बस यह जानना होगा कि कब कौन सा एक्शन लेना है। कई बार लोग मान लेते हैं कि आरोप लगने के बाद खेल खत्म हो गया। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता। आइए बताते हैं कि झूठे केस से बाहर निकलने के लिए क्या ज़रूरी है।
झूठा आरोप लगने के तुरंत बाद आपको जो पहला कदम उठाना चाहिए वह है किसी अच्छे वकील से संपर्क करना। वह आपको FIR की डिटेल्स जिन धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है और क्या कार्रवाई हो सकती है, यह बताएगा। अगर जरूरत हो तो आप तुरंत हाई कोर्ट या सेशंस कोर्ट में एंटीसिपेटरी बेल के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यह कदम कई मामलों में गिरफ्तारी को टाल सकता है।
अगर आपके पास कोई मैसेज, कॉल रिकॉर्ड, वीडियो, लोकेशन डिटेल्स या गवाह हैं जो यह साबित कर सकते हैं कि आप पर लगे आरोप झूठे हैं, तो उन्हें तुरंत संभाल कर रखें। ये बाद में आपके पक्ष में मजबूत सबूत बनेंगे। कोशिश करें कि सब कुछ लिखकर रिकॉर्ड करें। पुलिस जांच के दौरान शांत रहें और सिर्फ फैक्ट्स बताएं।
जब जांच शुरू हो तो आपका मकसद पुलिस को साफ और सीधे तौर पर यह यकीन दिलाना होना चाहिए कि आरोप बेबुनियाद हैं। अपने वकील की मदद से आप पुलिस को सबूत दे सकते हैं, बयान रिकॉर्ड कर सकते हैं और पूरी प्रोसेस को डॉक्यूमेंट कर सकते हैं। अक्सर झूठे केस में कोर्ट में जिरह के दौरान सच सामने आ जाता है, जिससे केस कमजोर हो जाता है।
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अगर आप चाहें तो अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों के खिलाफ मानहानि का केस भी चला सकते हैं। इससे वह व्यक्ति बेबुनियाद आरोप लगाने से पहले दो बार सोचेगा। हालांकि SC/ST एक्ट सख्त है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप किसी झूठे केस में फंस जाते हैं तो आप कुछ नहीं कर सकते। अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो आपके खिलाफ फाइल किया गया केस खारिज हो जाएगा।






