2025 सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले (सोर्स- सोशल मीडिया)
Supreme Court Major Decisions in 2025: साल 2025 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट (SC) और हाई कोर्ट ने कई ऐसे फैसले सुनाए, जिनका असर कानून, समाज और पॉलिसी पर लंबे समय तक रहेगा। अदालतों ने अलग-अलग मामलों में न्याय सुनिश्चित करने और नियमों को स्पष्ट करने में अहम भूमिका निभाई। इनमें आर्थिक अपराध, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, आवारा जानवरों की सुरक्षा, पर्यावरण, रिज़र्वेशन और सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल थे। आइए 2025 के कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर एक नजर डालें
सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया कि अदालतें राष्ट्रपति या राज्यपाल को किसी बिल पर कार्रवाई करने के लिए समय की सीमा तय नहीं कर सकतीं। संविधान के आर्टिकल 200 और 201 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास अपने विवेक से बिल पर निर्णय लेने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि अगर डेडलाइन तय की जाए तो यह शक्तियों के बंटवारे का उल्लंघन होगा। हालांकि, बिना वजह की अनिश्चित देरी को रोकने के लिए कोर्ट रिव्यू कर सकती है।
11 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निठारी सीरियल किलिंग के आखिरी आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे 13 में से 12 मामलों में बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बाकी मामलों में सजा सिर्फ़ एक बयान और चाकू की बरामदगी पर आधारित थी, फॉरेंसिक सबूत या सही कस्टडी चेन नहीं थी। इस फैसले से लगभग 20 साल का लंबा मुकदमा खत्म हो गया और यह हाई-प्रोफाइल मामलों में सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स जैसी पब्लिक जगहों से आवारा कुत्तों को हटा दें। कुत्तों को वैक्सीनेशन और स्टरलाइज़ेशन के बाद शेल्टर में रखा जाना चाहिए, और उन्हें उसी जगह वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि ऐसे जानवर पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं और नागरिकों के जीने के अधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने NCR में 18 से 21 अक्टूबर 2025 तक ग्रीन पटाखों की सीमित बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी। केवल PESO लाइसेंस वाले, NEERI-सर्टिफ़ाइड पटाखों की इजाज़त थी। ऑनलाइन बिक्री या NCR के बाहर से आयात पर रोक थी। अदालत ने इसे एक अस्थायी और ट्रायल बेस्ड उपाय बताया, ताकि त्योहार मनाते समय पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सके।
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SC ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट के कुछ संवेदनशील प्रावधानों पर आंशिक रोक लगा दी। सेक्शन 3(r) में पाँच साल तक इस्लाम धर्म मानने के सबूत की जरूरत थी, और सेक्शन 3C में सरकारी अधिकारियों को ज़मीन को वक्फ मानने की इजाज़त थी। कोर्ट ने कहा कि तब तक कोई ज़मीन या प्रॉपर्टी वक्फ से कब्ज़ा नहीं होगी। बाकी प्रावधान लागू रहेंगे। यह फैसला कोर्ट की सतर्कता और संवैधानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज स्कीम लागू की जाए। हर व्यक्ति को तुरंत इलाज और 1.5 लाख रुपये तक का कवर मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि इससे “गोल्डन आवर” में इमरजेंसी देखभाल संभव होगी और आर्टिकल 21 के तहत जीवन का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
28 अप्रैल 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मुरुगेसन-कन्नगी ऑनर किलिंग केस में हाई कोर्ट की सजा बरकरार रखी। यह एक जाति-प्रेरित हत्या का मामला था। अदालत ने अपराध को “क्रूर और घिनौना” बताया और परिवार के ज़िंदा सदस्यों को मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवार अपने आप जनरल कैटेगरी के पोस्ट पर नहीं जा सकते, जब तक कि नियम इसे स्पष्ट रूप से अनुमति न दें। यह फैसला भर्ती में रिजर्वेशन और जनरल कैटेगरी के अधिकारों को साफ़ करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के प्रमोटर संदेसरा भाइयों के खिलाफ केस तब छोड़ने पर सहमति दी जब उन्होंने 5,100 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह बैंक धोखाधड़ी के मामलों को खत्म करेगा। अदालत ने पब्लिक का पैसा वापस लौटाने पर जोर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान एंटी-कनवर्जन एक्ट, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया कि कानून धर्म की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने इसे अन्य राज्यों के पेंडिंग मामलों के साथ जोड़ दिया।