(सौजन्य- एएनआई)
चेन्नई: तमिलाडु में हुए लोकसभा चुनावों में AIADMK पार्टी एक भी सीट नहीं हासिल कर पाई। इस हार के बाद रविवार को वीके शशिकला ने राजनीति में दोबारा एंट्री का ऐलान किया। जे.जयललिता की करीबी रहीं शशिकला ने दोबारा राजनीति में आते ही कहा कि अभी AIADMK की कहानी खत्म नहीं हुई है, अभी तो मेरी शुरुआत हो रही है।
शशिकला ने लंबे समय से राजनीति से दूरी बना रखी थी। अब वापसी के तुरंत बाद उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से वादा किया कि 2026 के विधानसभा चुनावों में AIADMK की सत्ता में वापसी होगी। उन्होंने कहा कि हम 2026 में अम्मा (जयललिता) की सरकार बनाएंगे।
शशिकला ने पार्टी के लोकसभा चुनावों में हार को लेकर कहा कि कुछ स्वार्थी लोगों की वजह से हमारी हार हुई है। मैं चुपचाप यह सब देखती आ रही हूं। AIADMK के फाउंडर एमजी रामचंद्रन के सिद्धांतों का हवाला देते हुए शशिकला ने कहा कि “MGR लोगों को माफ करने और साथ लेकर आगे बढ़ने में यकीन करते थे। यही रास्ता मैं अपनाने वाली हूं।”
जे.जयललिता की करीबी रही शशिकला के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं। शशिकला का जन्म 1954 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले के मन्नारगुड़ी में हुआ था। साल 1973 में शशिकला की शादी एम नटराजन से हुई। उस समय नटराजन तमिलनाडु सरकार में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर थे। उनकी शादी में तब के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि शामिल हुए थे।
साल 1980 में नटराजन को तमिलनाडु के साउथ अर्कट जिले की DM वीएस चंद्रलेखा के PRO का पद मिला। वहां से शशिकला और जयललिता की दोस्ती की कहानी शुरू हुई। बताया जाता है कि चंद्रलेखा तमिलनाडु के तब के सीएम MG रामचंद्रन की करीबी मानी जाती थीं। इस राजनितिक कनेक्शन की वजह से ही शशिकला की मुलाकात जयललिता से हुई। उस समय जयललिता एक उभरती हुई स्टार और MG रामचंद्रन की करीबी थीं।
शशिकला और जयललिता की दोस्ती को मजबूती तब मिली, जब 1987 में रामचंद्रन की मौत के बाद उनकी पार्टी AIADMK की कमान अपने हाथ में लेने के लिए जयललिता पूरी कोशिश कर रही थी। उस समय शशिकला जयललिता के साथ हर मोर्चे पर मजबूती से डटी रहीं। आखिरकार 1989 में AIADMK की कमान जयललिता के हाथों में आ गई। इसके साथ ही शशिकला और नटराजन पोएज गार्डन स्थित जयललिता के घर ‘वेद निलयम’ में रहने लगे।
वहीं अगर शशिकला के राजनैतिक करियर की बात करें, 5 दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत के बाद 29 दिसंबर 2016 को शशिकला को AIADMK का महासचिव चुन लिया गया। इसके बाद साल 2017 में शशिकला को AIADMK की नेता चुन लिया गया, लेकिन 14 फरवरी 2014 को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को 4 साल जेल की सजा सुना दी। जिसके बाद उनके राजनैतिक करियर को कभी सहारा नहीं मिला।
जेल से आने के बाद भी वो पार्टी की हार के चलते सीएम नहीं बन सकी। यहां तक की इसी दौरान 2017 में था। पलानीसामी और अन्य मंत्रियों ने शशिकला के खिलाफ विद्रोह करते हुए सितंबर 2017 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया। शशिकला इसके खिलाफ कोर्ट भी गईं, लेकिन सफल नहीं हुई।