सपा के मध्यप्रदेश पूर्व विधायक किशोर समरीते (फोटो- सोशल मीडिया)
भोपाल: संसद भवन को बम से उड़ाने की धमकी देने वाले मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। मध्य प्रदेश के एक पूर्व विधायक को छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने 2022 में एक संदिग्ध पार्सल के साथ धमकीभरा लेटर राज्यसभा को भेजा था, जिसमें कई मांगें रखते हुए धमकी दी गई थी कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो संसद को 30 सितंबर को उड़ा दिया जाएगा। इस पत्र के साथ संविधान की प्रति, तिरंगा और संदिग्ध वस्तुएं भी भेजी गई थीं, जिससे संसद परिसर में हड़कंप मच गया था।
जांच में सामने आया कि आरोपी ने इसी तरह का पार्सल सुप्रीम कोर्ट को भी भेजा था, जिस पर अलग से मामला दर्ज किया गया। हालांकि धमकी के बावजूद कोई विस्फोटक नहीं मिला और न ही कोई नुकसान हुआ। इसी आधार पर कोर्ट ने आरोपी को विस्फोटक अधिनियम से बरी कर दिया। लेकिन गंभीर मानसिक प्रभाव और सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी की धारा 506 के तहत दोषी माना और जेल भेजने का आदेश दिया।
धमकी से मचा था हड़कंप, कोर्ट ने दी सजा
2022 में संसद भवन को भेजे गए स्पीड पोस्ट पार्सल ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया था। इसमें एक लेटर के साथ भारतीय तिरंगा, संविधान की प्रति और संदिग्ध वस्तुएं मिली थीं। आरोपी पूर्व विधायक ने इस पत्र में करीब 60 से ज्यादा मांगें गिनाई थीं और चेतावनी दी थी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह 30 सितंबर को संसद को बम से उड़ा देगा। यह मामला सामने आने के बाद तत्काल जांच शुरू हुई और आरोपी की पहचान के बाद गिरफ्तारी हुई थी।
विस्फोटक नहीं था, फिर भी मिली सजा
कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि आरोपी का इरादा भले ही धमकी का रहा हो, लेकिन इससे राष्ट्र की सबसे बड़ी संस्था को नुकसान पहुंचाने का डर पैदा हुआ। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसी हरकतें लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं और जनता में भय फैलाती हैं। हालांकि पार्सल में विस्फोटक न मिलने के कारण आरोपी को विस्फोटक अधिनियम से राहत दी गई, लेकिन धमकी देने पर छह महीने की जेल की सजा और जुर्माना लगाया गया है।