मध्यप्रदेश नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (फोटो- सोशल मीडिया)
भोपाल: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित सौरभ शर्मा केस में पांच महीने बाद भी कोई बड़ा खुलासा नहीं हो पाया है, जिससे जनता में सवाल गहराते जा रहे हैं। 52 किलो सोना, ढाई क्विंटल चांदी और करोड़ों की नकदी जब्त होने के बावजूद अब तक किसी रसूखदार चेहरे का नाम सामने नहीं आया है। इस केस को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि असली दोषियों को बचाया जा रहा है। वहीं जांच एजेंसियां चार्जशीट तक नहीं ला सकीं, जिससे केस अधर में लटका नजर आ रहा है।
इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच चार बड़ी एजेंसियां कर रही हैं, लेकिन अब तक सिर्फ सीमित कार्रवाई ही हो पाई है। जिस डायरी और दस्तावेजों में बड़े नाम होने की बात कही गई थी, वे अब तक सामने नहीं आ सके हैं। मामले से जुड़े मुख्य आरोपी जेल में हैं, लेकिन जांच की दिशा अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इससे जनता और समाज में यह आशंका बढ़ रही है कि मामला कानूनी पेचों में उलझाकर कमजोर किया जा रहा है।
जांच पर उठे गंभीर सवाल
विपक्ष का कहना है कि मामले की जांच को जानबूझकर धीमा किया जा रहा है। उनका दावा है कि असली जिम्मेदारों तक पहुंचने के बजाय मामला ऐसे मोड़ पर लाया जा रहा है जिससे पूरा रैकेट सामने न आ सके। जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दबाव में जांच को भटकाया जा रहा है।
अब भी अधूरी चार्जशीट और अधर में कार्रवाई
लोकायुक्त द्वारा छापेमारी के बाद बड़ी मात्रा में संपत्ति बरामद हुई, लेकिन अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है। अन्य एजेंसियां भी अब तक यह तय नहीं कर पाई हैं कि इतनी संपत्ति का असली स्रोत क्या है और इसका मालिक कौन है। जिन दस्तावेजों में बड़े नामों की चर्चा थी, वे अब तक सार्वजनिक नहीं हुए, जिससे संदेह और गहराता जा रहा है। बता दें सौरभ शर्मा मामले पर मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है।