कांग्रेस MP विवेक तन्खा ने ऑपरेशन सिंदूर पर बने डेलिगेशन पर सवाल खड़े किए है
नई दिल्ली: पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को उजागर करने के लिए केंद्र सरकार ने सात ऑल पार्टी डेलिगेशन गठित किए हैं, जो विभिन्न देशों में जाकर पाकिस्तान की सच्चाई बताएंगे। लेकिन इस डेलिगेशन में कश्मीरी पंडित समुदाय का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं किया गया, जिसे लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने न केवल सरकार को घेरा बल्कि विपक्ष से भी सवाल उठाते हुए इस चयन को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है।
भारत सरकार द्वारा घोषित प्रतिनिधिमंडल की लिस्ट में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के शशि थरूर जैसे नेताओं को शामिल किया गया है, जो अक्सर सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन कश्मीरी पंडित समुदाय की अनुपस्थिति पर विवेक तन्खा का सवाल हैरान करता है। उन्होंने इसे एक ‘भूली हुई प्रजाति’ की उपेक्षा बताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दे पर इस समुदाय की आवाज क्यों नहीं सुनी गई, यह बेहद गंभीर प्रश्न है।
Can there be any real optics abt Kashmir without involving Kashmiri Pandits !! KP once again kept out of visibility from the MPs delegation visiting world capital. For Govt KP issue is in the realm of tax free film & no more. @KirenRijiju @Jairam_Ramesh https://t.co/5rFQNPhFH1
— Vivek Tankha (@VTankha) May 18, 2025
सरकार के डेलिगेशन पर सवाल, कश्मीरी पंडितों की अनदेखी
केंद्र सरकार ने हाल ही में सात ऑल पार्टी डेलिगेशन की घोषणा की है, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और सेना की मिलीभगत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करना है। इन डेलिगेशन में विभिन्न दलों के 51 सांसदों और पूर्व मंत्रियों को जगह दी गई है। साथ ही विदेश मंत्रालय के 8 वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। लेकिन इन डेलिगेशन में किसी भी कश्मीरी पंडित प्रतिनिधि का नाम नहीं है, जिससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा आहत हैं।
विवेक तन्खा ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सराहनीय कदम है कि भारत दुनिया को पाकिस्तान की सच्चाई दिखाएगा, लेकिन प्रतिनिधिमंडल की लिस्ट एकतरफा और सत्ता के पसंदीदा लोगों से भरी हुई है। उन्होंने पूछा कि जब मुद्दा जम्मू-कश्मीर का है, तो उसमें सबसे पीड़ित समुदाय कश्मीरी पंडितों को पूरी तरह कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है?
फैसले पर पक्ष-विपक्ष दोनों को लिया लपेटे में
सिर्फ सरकार ही नहीं, विवेक तन्खा ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के फैसले पर भी गहरी निराशा जाहिर की है। उन्होंने बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता की ओर से जिन चार नामों की सिफारिश की गई, उनमें भी किसी कश्मीरी पंडित का नाम शामिल नहीं है। उन्होंने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस नेतृत्व ने भी इस महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज कर दिया।
तन्खा का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि यह कांग्रेस के अंदर से ही उठी आलोचना है, जो यह दर्शाती है कि कश्मीर मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच एकजुटता दिखाने के बजाय आंतरिक असंतोष बढ़ता जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने सीमा पार आतंक पर सख्त संदेश दिया है, लेकिन इसको लेकर बने डेलिगेशन की लिस्ट ने घरेलू राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। कश्मीरी पंडित समुदाय की गैर मौजूदगी ने न केवल सरकार को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि विपक्ष की मंशा और चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठा दिए हैं। विवेक तन्खा की आवाज अब उस साइलेंट बहस को सार्वजनिक कर रही है, जो कश्मीर के असली पीड़ितों की उपेक्षा पर उठती रही है।