राजीव गांधी के साथ मणिशंकर अय्यर (सोर्स- सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: आज यानी गुरुवार 10 अप्रैल को कांग्रेस के ऐसे दिग्गज राजनेता का जन्मदिन है जिसका तकरीबन हर एक बयान मीडिया सुर्खियों में आता है। जिसके बयान को सियासत में ‘सेल्फ गोल’ की संज्ञा दी जा चुकी है। माना तो यह भी जाता है कि चुनाव के दौरान इस नेता के मुंह खोलते ही कांग्रेस को नुकसान हो जाता है।
जी हां! अपने बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले मणिशंकर अय्यर आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। मणिशंकर अय्यर का जन्म 10 अप्रैल 1941 को अविभाजित भारत के लाहौर में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मणिशंकर अय्यर के पिता वैद्यनाथ शंकर अय्यर एक बड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। मणिशंकर अय्यर ने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था।
मणिशंकर अय्यर की शिक्षा बहुत ही शानदार रही। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा वेल्हम बॉयज स्कूल और द दून स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने कैम्ब्रिज से भी अपनी पढ़ाई की है। मणिशंकर अय्यर का झुकाव शुरू से ही मार्क्सवाद की ओर था।
बाद में उनकी नियुक्ति भारतीय विदेश सेवा में हुई। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में 26 साल तक काम किया है। इसके अलावा वे राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए 5 साल तक पीएमओ में प्रतिनियुक्ति पर रहे। मणिशंकर अय्यर की भारत के पड़ोसी देशों और पश्चिम एशिया के साथ संबंधों और परमाणु निरस्त्रीकरण में विशेष रुचि है। उन्होंने कई राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों में भी हिस्सा लिया है।
1978 से 82 तक वे कराची में भारत के पहले महावाणिज्य दूत रहे। 1982 से 83 तक उन्होंने विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव के तौर पर काम किया। 83-84 में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री के सलाहकार रहे। 1989 वह दौर था जब भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव हो रहा था। इस दौरान मणिशंकर अय्यर ने भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में प्रवेश किया।
राजनीति में प्रवेश करने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 1991 का लोकसभा चुनाव मयिलादुथुराई निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा और जीतकर सांसद बने। 1998 में मणिशंकर अय्यर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया। हालांकि 1996, 1998 और 2009 के लोकसभा चुनावों में मणिशंकर अय्यर को हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर (सोर्स- सोशल मीडिया)
इसके अलावा उन्होंने 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। 2004 में जब देश में मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो मणिशंकर अय्यर को बड़ी जिम्मेदारी दी गई और उन्हें प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्री बनाया गया। बाद में मणिशंकर अय्यर ने पंचायती राज मंत्री, युवा कल्याण मंत्री और खेल मंत्री के पद भी संभाले।
मणिशंकर अय्यर अपने बयानों की वजह से काफी चर्चा में रहते हैं। 2014 के चुनावों से पहले मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि मैं आपसे वादा करता हूं कि 21वीं सदी में मोदी इस देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते और उन्हें चाय बेचनी पड़ेगी। मोदी ने चुनावों के दौरान अय्यर के इस बयान का भरपूर फायदा उठाया था।
एक बार पाकिस्तानी टीवी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तान को भारत से बात करनी है तो उसे सबसे पहले नरेंद्र मोदी सरकार को हटाना होगा और कांग्रेस को लाना होगा। मणिशंकर अय्यर के इस बयान ने काफी हंगामा मचाया था। इसका कांग्रेस पर भी बुरा असर पड़ा था।
2017 गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नीच और असभ्य जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया। जिसके बाद पीएम मोदी ने रैलियों में इसे खूब भुनाया। जिसका नतीजा यह हुआ कि इस चुनाव में बीजेपी से आगे चल रही कांग्रेस को फिर से मुंह की खानी पड़ी।