सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार के वामपंथी उग्रवादी संगठनों के विरुद्ध लिए जा रहे है एक्शंस के चलते कहा ये जा रहा है कि 2026 तक इनका सफाया हो जाएगा। सूत्रों के हवाले से आई ख़बर के मुताबिक केन्द्र की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद वामपंथी उग्रवाद केवल 43 जिलों तक ही सिमट कर रह गया है।
वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खिलाफ सरकार के निरंतर अभियान के कारण यह समस्या 2014 से पहले 200 जिलों की तुलना में अब 43 जिलों तक सीमित रह गई है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच 700 से अधिक माओवादियों को गिरफ्तार किया गया, आत्मसमर्पण हुआ या मुठभेड़ों में मार गिराया गया।
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सूत्रों ने विश्वास जताया कि देश 2026 तक वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा। भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में, वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए कार्य योजना के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके तहत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा शिविरों का निर्माण भी शामिल है।
पहले 100 दिनों में सरकार की अन्य उपलब्धियों में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के साथ शांति समझौता शामिल है। एटीटीएफ ने 35 साल के संघर्ष के बाद हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है। सरकार ने ‘मानस’ हेल्पलाइन भी शुरू की है, जो नागरिकों को मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में जानकारी साझा करने या नशामुक्ति और पुनर्वास जैसे मुद्दों पर परामर्श के लिए नाम गुप्त रखते हुए स्वापक नियंत्रण ब्यूरो से चौबीसों घंटे संपर्क करने की सुविधा प्रदान करती है।
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साइबर अपराध से निपटने वाले सभी हितधारकों के लिए ‘समन्वय’ मंच शुरू किया गया है। सरकार साइबर सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों के तहत अगले पांच वर्षों में 5,000 ‘साइबर कमांडो’ को प्रशिक्षित करने की भी योजना बना रही है। अगर ऐसा होता है तो उग्रवादी संगठनों को समेटने में मदद मिलेगी।
-एजेंसी इनपुट के साथ