
CJI पर जूता उछालने वाले वकील का सनसनीखेज खुलासा (फोटो- सोशल मीडिया)
CJI BR Gavai Shoe Thrown Case: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई की ओर जूता उछालने की घटना ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में जहां एक ओर बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर और भाजपा नेता भास्कर राव ने आरोपी वकील की “हिम्मत” की तारीफ कर विवाद खड़ा कर दिया, वहीं अब आरोपी वकील राकेश किशोर ने खुद अपनी जाति का खुलासा करते हुए कहा है कि वह दलित हैं। इस घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
सोमवार को अदालती कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कथित तौर पर चीफ जस्टिस बीआर गवई की तरफ जूता उछालने का प्रयास किया था, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “भले ही यह कानूनी रूप से बहुत गलत हो, लेकिन मैं इस उम्र में भी आपके साहस की प्रशंसा करता हूं।” उनके इस पोस्ट के बाद उनकी जमकर आलोचना होने लगी।
भास्कर राव के पोस्ट पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने इसकी तुलना नाथूराम गोडसे के बचाव से कर दी, तो दूसरे ने बेंगलुरु पुलिस से उन पर कार्रवाई करने की मांग की। चौतरफा आलोचना के बाद भास्कर राव ने एक और पोस्ट कर माफी मांग ली। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि उनकी प्रतिक्रिया केवल इस बात पर हैरानी और सदमे से भरी थी कि एक इतना शिक्षित और अनुभवी व्यक्ति कानूनी रूप से गलत काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी का अपमान करना नहीं था और अगर किसी को ठेस पहुंची है तो उन्हें खेद है।
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इस पूरे विवाद के बीच आरोपी वकील राकेश किशोर ने खुद सामने आकर अपनी पहचान उजागर की है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “लोग मुझे नहीं जानते, मैं ना पांडे हूं, ना तिवारी हूं, मैं दलित हूं।” उन्होंने बताया कि वह सीजेआई की भगवान विष्णु पर की गई एक टिप्पणी से आहत थे। राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपनी जान का खतरा है, लेकिन वह सनातन के लिए अपनी आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह जल्द ही खजुराहो के विष्णु मंदिर जाकर मूर्ति को “रिस्टोर” कराने के लिए अनशन करेंगे।






