सांसद मोहम्मद हनीफ (सोर्स- सोशल मीडिया)
Ladakh Violence: लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत आरोप लगाए गए। इस बीच लोकसभा सांसद मोहम्मद हनीफ ने लद्दाख की घटनाओं पर अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
एक टीवी समाचार चैनल से बात करते हुए मोहम्मद हनीफ ने कहा कि जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में माहौल फिलहाल शांतिपूर्ण है, लेकिन तनाव निश्चित रूप से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वह 6 तारीख को होने वाली आगामी बैठक से पहले केंद्रीय गृह मंत्री से मिलकर उन्हें वहां की स्थिति से अवगत कराना चाहते हैं। उन्होंने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों का पर्दाफाश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई बाहरी भी शामिल है तो खुलासा होना चाहिए।
24 सितंबर को लद्दाख में हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई और पुलिस अधिकारियों सहित 80 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया, वाहनों में आग लगा दी गई और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस और गोलियों का इस्तेमाल किया।
राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दो साथी भूख हड़तालियों के बेहोश होने और अस्पताल में भर्ती होने के बाद तनाव बढ़ने पर अपना अनशन वापस ले लिया।
मंगलवार शाम को भूख हड़ताली त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोलमा (60) को लेह के अस्पताल में गंभीर हालत में ले जाया गया। वे छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और सुरक्षा की मांग को लेकर 35 दिनों से चल रहे अनशन का हिस्सा थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद लद्दाख भर के युवा एकजुटता दिखाने के लिए सड़कों पर उतर आए।
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बुधवार सुबह तक बंद का आह्वान किया गया और लेह के शहीद मैदान में लोगों की भीड़ जमा हो गई और उन्होंने अपना गुस्सा निकाला। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने स्वीकार किया कि उनका अस्पताल में भर्ती होना हिंसा का केंद्र बन गया जिसने उनके शांतिपूर्ण अभियान को पटरी से उतार दिया।