राफेल-एम फाइटर जेट (सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत ने आज यानी सोमवार को फ्रांस के साथ राफेल-एम फाइटर जेट की डील फाइनल की है। इस डील के फाइनल होते ही दुश्मन देशों में हड़कंप सा मच गया है। आतंक के आका की तो नींद भी उड़ गई होगी। दुश्मनों में मचे इस हड़कंप और टेंशन की वजह सिर्फ 63 हजार करोड़ में हुई फाइटर जेट की डील नहीं है, बल्कि इस फाइटर जेट यानी राफेल-एम की खूबियां हैं।
राफेल-एम को राफेल मरीन के नाम से जाना जाता है। मरीन का मतलब समुद्र से जुड़ा हुआ। यानी इसके नाम से ही साफ है कि यह भारतीय नौसेना के लिए होगा। इसे एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात किया जाएगा। जहां से उड़ान भरकर यह दुश्मनों के चीथेड़े उड़ाने का काम करेगा। इस फाइटर जेट में कई ऐसी खूबियां है जो इसे ज्यादा खूंखार और मारक बनाती हैं। तो चलिए जानते हैं…
स्पीड किसी भी फाइटर जेट के लिए सबसे अहम होती है। यह जितनी ज्यादा होगी दुश्मन पर मौत बरसाकर वहां से निकलने में उतना ही कम समय लगेगा। राफेल-एम की गति-2202 किलोमीटर प्रति घंटा है। जो कि पाकिस्तान के JF-17 1910 किमी/घंटा और J-10 CE 2100 किमी/घंटा से ज्यादा है। वहीं, इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है।
राफेल एम की फ्यूल कैपेसिटी 11,202 लीटर है। जो कि चाइना के पास मौजूद J-10, J-15 और SU-30 से ज्यादा है। ज्यादा फ्यूल कैपिसिटी का मतलब ज्यादा देर तक उड़ान संभव। डॉग फाइटिंग में दुश्मन पर जीत के चांस सबसे ज्यादा। इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है। इसका मतलब है कि इसकी रेंज और भी बढ़ाई जा सकती है।
राफेल मरीन लड़ाकू विमान (सोर्स- सोशल मीडिया)
राफेल एम आसमान में 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। यानी यह आकाश की गहराइयों में गोते लगाने में सक्षम है। राफेल मरीन मौजूदा राफेल फाइटर जेट्स से एडवांस्ड है। मजबूत फ्रेम, लैंडिंग गियर और टेल हुक जैसे स्पेयर पार्ट्स हैं। जो इसे ज्यादा मजबूती देते हैं, और ज्यादा मजबूती का मतलब आप बेहतर समझते हैं।
इसका AESA यानी Active Electronically Scanned Array रडार टारगेट डिटेक्शन और ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन है। इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम है जो इसे स्टेल्थ बनाता है। 10 घंटे तक फ्लाइट डेटा की रिकॉर्डिंग कर सकता है। इसमें पायलट के हेलमेट के ऊपर एक डिस्प्ले भी है। राफेल-एम फाइटर के आने से भारतीय समुद्री क्षेत्र में निगरानी, जासूसी, हमला जैसे कई मिशन को अंजाम दिया जा सकेगा।
राफेल-एम फाइटर जेट (सोर्स- सोशल मीडिया)
राफेल-एम में 30 एमएम की ऑटोकैनन गन लगी है। इसके अलावा 14 हार्डपॉइंट हैं। इसमें तीन तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सात तरह की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या इनका संयोजन लगाया जा सकता है। साथ ही इसमें जहाज रोधी और SCALP सटीक प्रहार करने वाली मिसाइल शामिल हैं। ये मारक क्षमताएं चीन के चौथी पीढ़ी तक सभी लड़ाकू विमानों से कहीं ज्यादा है। पाकिस्तान के एफ-16 को छोड़कर उसके बेड़े में अधिकतम चाईनीज फाइटर जेट्स ही शामिल हैं।
भारत राफेल मरीन विमानों को INS विक्रांत पर तैनात करेगा। विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने इन विमानों में भारत की जरूरत के हिसाब से कई बदलाव किए हैं। इसमें एंटी शिप स्ट्राइक, न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने की क्षमता और 10 घंटे तक फ्लाइट रिकॉर्ड करने जैसे फीचर शामिल हैं। इसके अलावा कंपनी भारत को हथियार प्रणाली, स्पेयर पार्ट्स और एयरक्राफ्ट के जरूरी टूल्स भी देगी।