कर्नाटक CM सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: कर्नाटक की राजनीति में हलचल लगातार तेज है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने पहुंचे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को भी राहुल से भेंट का अवसर नहीं मिला। बीजेपी ने इस घटना को सिद्धारमैया का अपमान बताते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा हमला बोला है। अमित मालवीय ने इसे गांधी परिवार की कन्नड़ नेताओं के प्रति पुरानी सोच से जोड़ते हुए कांग्रेस पर क्षेत्रीय नेताओं का अपमान करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर सिद्धारमैया का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि यह पहला मौका नहीं है जब किसी कर्नाटक के नेता को गांधी परिवार ने नजरअंदाज किया हो। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल की 1989 में की गई बर्खास्तगी का उदाहरण दिया और कहा कि इसी रवैये ने कांग्रेस को कर्नाटक में कमजोर किया। उन्होंने दावा किया कि सिद्धारमैया अब डीके शिवकुमार के पीछे छिपने को मजबूर हैं, जो खुद मुख्यमंत्री बनने की तैयारी में हैं।
Humiliation in Delhi for Karnataka CM Siddaramaiah!
He travelled all the way to the capital, only to be denied an appointment by Rahul Gandhi—and has now returned without even a meeting.
This isn’t the first time a Gandhi has insulted a senior leader from Karnataka. History… pic.twitter.com/mjgAdTByhD
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 11, 2025
राहुल से नहीं मिले दोनों शीर्ष नेता
कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दोनों दिल्ली पहुंचे थे। सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की, जबकि शिवकुमार ने प्रियंका गांधी से भेंट की। दोनों नेताओं ने राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें मुलाकात का मौका नहीं मिला। इससे कर्नाटक कांग्रेस में अंतरकलह की चर्चाएं अब और भी तेज हो गई हैं।
सत्ता संघर्ष या हाईकमान की रणनीति
सिद्धारमैया ने राहुल गांधी से मुलाकात नहीं होने के बाद बयान दिया कि उन्होंने समय मांगा था, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। वहीं, उन्होंने स्पष्ट किया कि नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव हाईकमान के पास लंबित है। डीके शिवकुमार पहले ही कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री पद खाली नहीं है। इसके बावजूद पार्टी में अंदरूनी राजनीति को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
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सिद्धारमैया ने दावा किया कि वह पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे और अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा भी वही होंगे। दूसरी ओर, बीजेपी इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस की अंदरूनी टूट और क्षेत्रीय नेताओं की उपेक्षा के रूप में पेश कर रही है। फिलहाल, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व और महत्व की लड़ाई अभी थमी नहीं है।