कारगिल विजय दिवस (सोर्स- सोशल मीडिया)
Kargil Vijay Diwas: 26 साल पहले पड़ोसी पाक की एक नापाक साजिश ने कारगिल युद्ध की पटकथा लिख दी। इस युद्ध में मां भारती के रणबांकुरों ने अद्भुत और अदम्य साहस का परिचय देते हुए घुसपैठियों और पाकिस्तानी सेना को सरजमीं-ए-हिंद से खदेड़कर वापस कब्जा कर लिया। तभी से 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
कारगिल भारतीय राज्य लद्दाख (अब केन्द्र शासित प्रदेश) का एक सीमावर्ती क्षेत्र है। पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा पार करके कारगिल क्षेत्र की कई पहाड़ियों पर कब्ज़ा कर लिया था। 3 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की सूचना दी थी।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की साजिश रची थी। हालांकि, हमारे वीर सैनिकों ने उनके नापाक इरादों को पूरा नहीं होने दिया। पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़कर मार गिराया गया। ऐसा माना जाता है कि उस समय मुशर्रफ ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जानकारी के बिना ही युद्ध की योजना बनाई थी।
कारगिल घुसपैठ के दौरान केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, जिन्हें इस घुसपैठ की जानकारी दी गई थी। जानकारी मिलने के बाद वाजपेयी सरकार ने सेना को घुसपैठियों को मार गिराने और अपने क्षेत्र पर पुनः कब्ज़ा करने का आदेश दिया।
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यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक सशस्त्र संघर्ष था। यह युद्ध 60 दिनों से अधिक समय तक लड़ा गया। के दौरान हमारे सैनिकों की अद्भुत वीरता और अटूट दृढ़ संकल्प ने दुश्मन को भारतीय चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। हालाँकि, इस युद्ध में, 562 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए।