कपिल सिब्ब्ल व पीएम नरेंद्र मोदी (कॉन्सेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) को लेकर देश में सियासी माहौल गर्म है। इस बीच राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक असंवैधानिक कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बहुसंख्यकवादी सरकारें सत्ता में बनी रहें।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग हमेशा से मोदी सरकार के हाथों की कठपुतली रहा है। उन्होंने ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में यह भी आरोप लगाया कि प्रत्येक निर्वाचन आयुक्त ‘इस सरकार के साथ मिलीभगत करने’ में एक-दूसरे से आगे रहता है।
बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास नागरिकता के मुद्दों पर फैसला करने का अधिकार नहीं है।
एसआईआर को लेकर निर्वाचन आयोग पर विपक्ष के हमले के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है, तब से निर्वाचन आयोग सरकार के हाथों की कठपुतली रहा है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के आचरण के बारे में जितना कम कहा जाए उतना ही बेहतर है।
एसआईआर पर सिब्बल ने कहा कि मेरे अनुसार यह पूरी तरह से असंवैधानिक प्रक्रिया है। आयोग के पास नागरिकता के मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और वह भी एक ब्लॉक स्तर के अधिकारी द्वारा। वरिष्ठ मैं कहता रहा हूं कि भाजपा किसी भी तरह चुनाव जीतने के लिए हरसंभव हथकंडा अपनाते हैं।
सिब्बल ने आरोप लगाया कि अगर आप गरीब लोगों, हाशिए पर पड़े लोगों, आदिवासियों के नाम हटा देंगे, तो आप यह सुनिश्चित कर देंगे कि बहुसंख्यकवादी पार्टी हमेशा जीते। इसलिए यह कवायद यही सुनिश्चित करने का एक और तरीका है तथा यह बहुत चिंताजनक है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर सिब्बल ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले में वकील हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अदालत ने जो कुछ भी कहा है, निर्वाचन आयोग उसे ध्यान में रखेगा। ताकि यह विवाद आगे न बढ़े।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र का मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि निर्वाचन आयोग अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि केवल उन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में अचानक वृद्धि कैसे हुई, जहां भाजपा जीती है।
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने एसआईआर को एक ‘‘संवैधानिक आदेश” बताते हुए निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी की दलीलों पर विचार किया और निर्वाचन आयोग को बिहार में यह प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे दी थी।
लोकतांत्रिक देश में मतदान के अधिकार को एक महत्वपूर्ण अधिकार बताते हुए इसने कहा था कि हम एक संवैधानिक संस्था को वह करने से नहीं रोक सकते जो उसे करना चाहिए। साथ ही, हम उसे वह भी नहीं करने देंगे जो उसे नहीं करना चाहिए।
मामले की सुनवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए पीठ ने इस कवायद को चुनौती देने वाली 10 से अधिक याचिकाओं को सुनवाई के वास्ते 28 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था।