(डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: डियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने आज यानी शुक्रवार को एक बार फिर इतिहास रच दिया। यहां आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से ISRO ने अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट SSLV-D3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। हालांकि इससे पहले ISRO ने बीते 15 अगस्त को इसकी लॉन्चिंग की तारीख तय की थी।
SSLV-D3-EOS-08 मिशन से पहले ISRO ने फरवरी 2023 में लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D2-EOS-07 ) का दूसरी बार प्रक्षेपण किया था जो सफल रहा था। ISRO का SSLV-D3-EOS-08 मिशन इस साल तीसरा मिशन है। इससे पहले उसने जनवरी में PSLV-C58/एक्सपोसैट और फरवरी में JSLV-F14/इनसैट-3डीएस का सफल प्रक्षेपण किया था।
SSLV-D3/EOS-08 Mission:
✅The third developmental flight of SSLV is successful. The SSLV-D3 🚀placed EOS-08 🛰️ precisely into the orbit.
🔹This marks the successful completion of ISRO/DOS’s SSLV Development Project.
🔸 With technology transfer, the Indian industry and…
— ISRO (@isro) August 16, 2024
ISRO ने कहा, “SSLV-D3-EOS-08 मिशन के प्रक्षेपण से पहले साढ़े छह घंटे की उल्टी गिनती भारतीय समयानुसार देर रात दो बजकर 47 मिनट पर शुरू हो गई।” सबसे छोटे इस एसएसएलवी रॉकेट की लंबाई लगभग 34 मीटर है। इसे पहले 15 अगस्त को सुबह नौ बजकर 17 मिनट पर प्रक्षेपित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसे 16 अगस्त को सुबह नौ बजकर 19 मिनट पर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्च पैड से प्रक्षेपित करना तय हुआ।
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#WATCH | ISRO successfully launched the third and final developmental flight of SSLV-D3/EOS-08 mission, from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, Andhra Pradesh.
ISRO chief S Somanath says, “…The third developmental flight of SSLV – SSLV-D3/EOS-08 has been… pic.twitter.com/nnt8ZldIIp
— ANI (@ANI) August 16, 2024
इस मिशन से एसएसएलवी विकास परियोजना पूरी हो जाएगी। इस अंतरिक्ष यान की मिशन आयु एक वर्ष है। इसका द्रव्यमान करीब 175.5 किलोग्राम है और यह करीब 420 वाट ऊर्जा पैदा करता है।
The third developmental flight of SSLV is successful. The SSLV-D3 placed EOS-08 precisely into the orbit. This marks the successful completion of ISRO/DOS’s SSLV Development Project: ISRO pic.twitter.com/pquwmn22je
— ANI (@ANI) August 16, 2024
EOS-08 अपने साथ तीन पेलोड ले गया है। इनमें इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और सीआइसी यूवी डोसीमीटर भी शामिल हैं। EOS-08 पेलोड को उपग्रह आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी के लिए तस्वीरें खींचने के लिए खास तौर से डिजाइन किया गया है।
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ISRO की जानकारी के अनुसार GNSS-R समुद्र की सतह की हवा का विश्लेषण, मिट्टी की नमी का सटीक आकलन और बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमता को प्रदर्शन करेगा। इससे जुड़ा SIC यूवी डोसीमीटर गगनयान मिशन में पराबैंगनी विकिरण की भी निगरानी करेगा।