
ब्रह्मोस-2 बनाने की तैयारी में भारत (सोर्स- सोशल मीडिया)
India Developing Brahmos-II: भारत और रूस जल्द ही ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने वाले हैं। यह मिसाइल अगली पीढ़ी की है, जिसमें रूसी प्रोपल्शन (इंजन तकनीक) और भारतीय सेंसर व इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर-रोधी एवियोनिक्स का मिश्रण है। इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है और इसे जमीन, समुद्र, पनडुब्बी और हवाई प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।
यह मिसाइल दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों जैसे एयरबेस, बंदरगाह और कमांड सेंटर पर सटीक हमला कर सकती है। रूस का इंजन इसे बेहद तेज़ गति देगा, जबकि भारत के सेंसर लक्ष्य की पहचान को बिल्कुल सही बनाएंगे। साथ ही, EW-रोधी एवियोनिक्स इसे जैमिंग या सिग्नल बाधा से बचाएगी।
ब्रह्मोस-2, ब्रह्मोस-1 का उन्नत संस्करण है। जहां ब्रह्मोस-1 सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज) है, वहीं ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक (ध्वनि से लगभग 5 गुना तेज) है। हाइपरसोनिक होने का मतलब है कि यह मिसाइल इतनी तेज़ है कि दुश्मन के रडार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाएंगे।
ब्रह्मोस-2 (सोर्स- सोशल मीडिया)
स्पीड: लगभग 8,500-10,000 किमी/घंटा (हवाई जहाज से लगभग 10 गुना तेज)।
रेंज: 1,500 किलोमीटर – उदाहरण: दिल्ली से इस्लामाबाद सिर्फ 5-7 मिनट में।
इंजन: स्क्रैमजेट (हवा से ऑक्सीजन लेकर जलने वाला रूसी इंजन)। लंबाई / वजन: 8-9 मीटर, 2-3 टन।
वॉरहेड: 200-300 किलोग्राम विस्फोटक।
लॉन्च प्लेटफॉर्म: जमीन (मोबाइल लॉन्चर), समुद्र (जहाज), पनडुब्बी, हवाई प्लेटफॉर्म
ऊंचाई: 15-20 किमी ऊपर उड़ान, फिर कम ऊंचाई पर डाइव।
पाकिस्तान: 1500 किमी रेंज की वजह से भारत के किसी भी लॉन्च साइट (राजस्थान, असम, अंडमान) से पाकिस्तान का पूरा क्षेत्र कवर हो जाएगा।पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल: 7.96 लाख वर्ग किमी।
मुख्य लक्ष्य: कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी (न्यूक्लियर साइट्स)।
उदाहरण: अमृतसर से इस्लामाबाद सिर्फ 500 किमी, 4-5 मिनट में।
चीन: भारत की सीमा से 1,500 किमी तक चीन के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से प्रभावित होंगे (लगभग 20-25% क्षेत्र)।
मुख्य क्षेत्र: तिब्बत (ल्हासा), शिनजियांग (उरुमकी), युन्नान (कुनमिंग), सिचुआन (चेंगदू)। बीजिंग और मध्य चीन पूरी तरह कवर नहीं होंगे, लेकिन कुछ हिस्सों पर प्रभाव होगा।
रणनीतिक महत्व: LAC के पास चीन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा सकेगा, साथ ही अंडमान से साउथ चाइना सी के द्वीप भी कवर होंगे।
यह भी पढ़ें: नवभारत विशेष: रूसी तेल पर अमेरिकी पाबंदी से फर्क नहीं पड़ेगा






