उद्धव-राज एकता पर कुमार विश्वास (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में दशकों बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने वर्ली डोम में मंच साझा किया। ये अवसर राज्य में उठे हिंदी-मराठी भाषा के विवाद आया, जब ठाकरे बंधुओं ने राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया और आंदोलन की चेतावनी दी। इस अवसर पर ठाकरे बंधुओं ने मराठी लोगों पर हिंदी भाषा थोपने की बात कही थी। इस आंदोलन के जरिए दोनों भाई जो राजनीति के कारण अलग हो गए थे, वे एक बार फिर साथ आए और सरकार को चुनौती दी।
महाराष्ट्र में हुए भाषा विवाद के बाद देश भर से कई राजनीतिक लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इस बीच डॉ. कुमार विश्वास ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट कर लिखा, हिंदी, मराठी और सभी भाषाएं केवल प्यार फैलाती है।
हिंदी, मराठी व सभी भाषाएं केवल प्यार फैलाती है। दो बिछड़े भाइयों के बीच दोबारा प्यार पैदा कराने के लिए हमारी इन दोनों मातृभाषाओं को सादर नमन जो सियासत व विरासत न कर सकीं वो हमारी मां हिंदी व हमारी मौसी मराठी ने कर दिखाया। जय हिंद-जय हिंदी, जय महाराष्ट्र-जय मराठी।
हिंदी, मराठी व सभी भाषाएँ केवल प्यार फैलाती है। दो बिछड़े भाइयों के बीच दोबारा प्यार पैदा कराने के लिए हमारी इन दोनों मातृभाषाओं को सादर नमन 🙏 जो सियासत व विरासत न कर सकीं वो हमारी माँ हिंदी व हमारी मौसी मराठी ने कर दिखाया❤️🙏🇮🇳।
जय हिंद-जय हिंदी, जय महाराष्ट्र-जय मराठी 🇮🇳🙏— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 6, 2025
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने त्रिभाषा नीति के संबंध में 16 अप्रैल और 17 जून को एक जीआर जारी किया था। इस जीआर के तहत राज्य की स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य किया गया था। इस नीति के आने के बाद ठाकरे बंधुओं ने इसका मजकर विरोध किया था। विरोध को उग्र होता देख फडणवीस सरकार ने हिंदी भाषा की अनिवार्यता का फैसला वापस ले लिया था और इसे विकल्प के तौर पर रखा था।
शरद पवार गुट के चिखले भी हो गए भाजपायी, पूरे झुंड के साथ BJP में की एंट्री
इसके बाद भी ठाकरे बंधु नहीं रूके और मराठी लोगों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया और 5 जुलाई को भव्य आंदोलन की चेतावनी दे दी। इस मामले के बाद राज्य भर में शिवसेना यूबीटी और मनसे कार्यकर्ताओं ने सरकार के जीआर की होली जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध उग्र होता देख 29 जून को फडणवीस सरकार ने दोनों जीआर रद्द कर दिए और कहा कि डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक नई समिति मामले की समीक्षा करेगी।
सरकार का फैसला रद्द करने के बाद 5 जुलाई को ठाकरे बंधुओं ने वर्ली डोम में विजय मोर्चा निकाला। राज ने ‘विजय’ रैली को संबोधित करते हुए मजाकिया अंदाज में कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें और उद्धव को साथ ला दिया है और यह ऐसा काम है जो बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर सके। मनसे प्रमुख ने मंच पर बैठे उद्धव के सामने कहा, मराठी लोगों की मजबूत एकता के कारण महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा फॉर्मूले पर फैसला वापस ले लिया। यह फैसला मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की योजना का संकेत था।’