भाई के अंतिम संस्कार में हिस्सा होने के लिए बलवंत सिंह राजोआना को मिली पैरोल (कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : पंजाब के दिवंगत सीएम बेअंत सिंह की हत्या के मामले में अभी- भी जेल में सजा काट रहे बलवंत सिंह राजोआना को तीन घंटे की आज पैरोल मिली है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे आज सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक की पैरोल दे दी है। पटियाला जेल में बंद बलवंत सिंह के बड़े भाई कुलवंत सिंह राजोआना का कुछ दिनों पहले निधन हुआ था। जिनका अंतिम अरदास बुधवार यानी आज है। ये भोग आयोजन में लुधियाना स्थित बलवंत सिंह राजोआना के पैतृक गांव राजोआना कलां के गुरुद्वारा मंजी साहिब में होने वाला है।
बता दें कि भाई के अंतिम संस्कार में हिस्सा होने के लिए बलवंत सिंह राजोआना ने पैरोल के लिए हाईकोर्ट में याचिका दी थी। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राजोआना को पुलिस हिरासत के साथ 3 घंटे की पैरोल दी है। पुलिस हिरासत में उसे लुधियाना स्थित उसके गांव ले जाया जाएगा। इससे पहले साल 2022 में पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए राजोआना को 1 घंटे की पैरोल मिली थी।
देश से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
1995 को 31 अगस्त को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय से बाहर हुए विस्फोट में राज्य के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह और 16 समेत अन्य मौत हो गई थी। इस मामले में बलवंत सिंह राजोआना को जुलाई 2007 में अदालत ने मौत की सजा सुना दी थी।
दरअसल दोषी राजोआना की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल कर रखा था।बलवंत सिंह राजोआना ने दुबारा फांसी की सजा माफ करने और रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को आदेश भी जारी किए थे।
#WATCH | Punjab and Haryana High Court granted parole for 3 hours to death row convict Balwant Singh Rajoana, imprisoned for his involvement in the 1995 assassination of Punjab’s former chief minister Beant Singh, to attend the antim ardas of his brother Kulwant Singh Rajoana.… pic.twitter.com/p9ljwG0CXL
— ANI (@ANI) November 20, 2024
हालांकि राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दया याचिका निपटाने में देरी का आरोप लगाते हुए मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने और रिहाई का आदेश देने की मांग की है। इसके साथ ही पहले जनवरी 2022 में हाई कोर्ट ने उनके पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में पुलिस कस्टडी में शामिल होने की इजाजत दी थी।