पहलवान हमीदा बानो (डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अगर आपने आज सुबह एक भी बार गूगल (Google) चेक किया है तो गुलाबी रंग के कपड़ों में आत्मविश्वास और मजबूती के साथ खड़ी एक महिला का चहरा जरूर दिखाई दिया होगा। अब आप सोच रहे होंगे की आज गूगल ने ये किस का डूडल (Doodle) बनाया है? तो चलिए आपको देते हैं इसका जवाब और साथ ही बताते हैं इस महिला की जिंदगी के कुछ खास किस्से।
आज गूगल ने जिस महिला का डूडल बनाया है वे महिला एक पहलवान है। इस महिला पहलवान का नाम हमीदा बानो (Hamida Banu) है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर (Mirzapur) में जन्मी हमीदा बानो को भारत की पहली महिला पहलवान कहा जाता है। कई रिपोर्ट्स और किस्से बताते हैं की उस समय हमीदा बानो एक ऐसी पहलवान थी जिनसे बड़े से बड़े गामा पहलवान भी खौफ खाते थे। कई बार तो पुरुष पहलवान भी उनका मुकाबला करने से कतराते थे। यही वजह है की हमीदा बानो ने शादी के लिए भी यह शर्त रखी थी की जो शख्स उन्हें हराने में कामियाब होगा वही उनका जीवनसाथी बनेगा।
शादी के लिए रखी थी शर्त
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1954 में हमीदा बानो ने वड़ोदरा में एक कुश्ती के मुकाबले में पहुंची थी। लेकिन यहां उनका नाम सुन कर गामा पहलवान यह कहते हुए मुकाबले से पीछे हट गए कि वह एक महिला से कुश्ती नहीं लड़ेंगे। इसके बाद हमीदा का मुकाबला बाबा पहलवान से होता है जिन्हें वे धुल चटा देती हैं। इस मुकाबले के बाद रेफरी ने ऐलान किया कि ऐसा कोई पुरुष पहलवान नहीं है, जो हमीदा को हराकर उनसे शादी कर पाए।
ऐसा खाना खाती थीं हमीदा बानो
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपने दौर में हमीदा के चर्चे बेहद आम थे। आए दिन अखबारों में हमीदा बानो की हाइट, वेट, डाइट से जुड़ी खबरें छपती थीं। एक खबर के मुताबिक हमीदा बानो का वजन 108 किलो था और लंबाई 5 फीट 3 इंच थी। उनके डेली खानपान में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.5 लीटर फ्रूट जूस, करीब 1 किलो मटन, बादाम, आधा किलो घी और दो प्लेट बिरयानी शामिल थी। 300 से भी ज्यादा मुकाबले जीतने के बाद जब हमीदा बानो ड़ौदा पहुंचीं तो उनका का नाम ‘अमेजन ऑफ अलीगढ़’ पड़ गया था।
पत्थर बरसा कर किया विरोध
यूं तो हमीदा के आगे बड़े से बड़े पहलवान नहीं टिक पाते थे लेकिन यही बात उनके विरोध की वजह भी बानी। लोग महिला पहलवान का पुरुषों पर भारी पड़ना बर्दाश्त नहीं कर पाते थे। इसलिए कई मौकों पर हमीदा बानो को विरोध का सामना करना पड़ता था। एक और मौके पर तो जब हमीदा बानो ने जब पुरुष पहलवान को धूल चटाई तो लोगों ने पत्थरबाजी तक शुरू कर दी थी।
पिटाई में टुटा हाथ
जीवन भर मजबूती के साथ जीने वाली महिला पहलवान का आखिरी समय कठिन रहा। रिपोर्ट्स बताती हैं की हमीदा ने अपने कोच सलाम पहलवान (Salam Pahalwan) से शादी की थी। उस समय हमीदा को भारत से बाहर यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने का मौका मिला था। हालांकि उनके पति सलाम पहलवान को ये मजूर नहीं था।
इसके बावजूद भी हमीदा ने यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने की जिद नहीं छोड़ी। इस पर सलाम पहलवान ने हमीदा बानो की इतनी पिटाई की कि उनका हाथ टूट गया। पैर में भी गंभीर चोट आई। इसके बाद कई सालों तक वह लाठी के सहारे चलती रहीं। इसके बाद हमीदा अपना जीवन दूध का व्यवसाय करते हुए बिताने लगीं और साल 1986 में इस महिला पहलवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया।