गणेशोत्सव 635 बसें कोकण रवाना (pic credit; social media)
Maharashtra News: गणेशोत्सव पर कोकण वासियों की सुविधा के नाम पर एसटी महामंडल ने खानदेश की 635 बसें झोंक दी हैं। इससे धुलिया, जलगांव, नंदुरबार, शहादा और संभाजी नगर जाने वाले यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बस स्टैंडों पर अव्यवस्था का आलम है। यात्री दो-दो घंटे तक खड़े रहकर बस का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि महामंडल की यह ‘भावनात्मक सेवा’ अब खानदेश के लिए परेशानी बन गई है।
कोकण में गणेशोत्सव का उत्साह चरम पर है। रोजगार और शिक्षा के लिए घर छोड़कर गए कोकणवासी गणपति बप्पा के दर्शन और अपनों से मिलने लौट रहे हैं। इसी वजह से धुलिया डिवीजन की 310 और जलगांव डिवीजन की 325 बसें 23 अगस्त की मध्यरात्रि से ठाणे-बोरिवली डिपो भेज दी गईं। ये बसें गुहागर, चिपलून, देवगड, सावंतवाडी, राजापुर, दापोली, मालवण और रत्नागिरी जैसे गंतव्यों पर दौड़ रही हैं। लेकिन इस ‘सेवा’ की कीमत खानदेश को चुकानी पड़ रही है, जहां स्थानीय रूट्स लगभग ठप पड़ गए हैं। हमारी टीम ने पुलिया बस स्टैंड पर देखा कि यात्री सुबह 8 बजे से 10 बजे तक बस का इंतजार करते रहे, लेकिन गाड़ियां नहीं आईं।
स्थिति नंदुरबार और संभाजी नगर रूट पर और भी बदतर है। यात्री दो घंटे तक इंतजार करना आम बात मान चुके हैं, कई बार तो बसें आती ही नहीं। एसटी महामंडल के एक अधिकारी ने माना कि फिलहाल हमारी समयसारिणी से बसें संचालित नहीं हो रही हैं। कोकण को प्राथमिकता दी गई है, और स्थानीय रूट तभी सामान्य होंगे जब अन्य डिपो से बसें उपलब्ध होंगी।
यात्रियों का गुस्सा अब फूट रहा है। जलगांव के व्यवसायी संतोष पाटिल ने सवाल उठाया कि जब स्थिति का अंदाजा था तो महामंडल और आरटीओ ने निजी गाड़ियों की व्यवस्था क्यों नहीं की?
नवभारत की जांच में यह भी सामने आया कि पिछले साल भी गणेशोत्सव के समय यही हालात बने थे। सवाल उठता है कि क्या खानदेश हर बार कोकण की ‘भावनाओं’ के नाम पर बलिदान होता रहेगा?
आरटीओ की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। यात्रियों की मांग है कि तुरंत अतिरिक्त बसें चलाई जाएं या निजी व्यवस्था की जाए। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन की चिंगारी भड़क सकती है।