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नई दिल्ली: दिल्ली में वायु गुणवत्ता शुक्रवार को ‘खराब’ स्तर पर पहुंचने के बाद, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकारियों को चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के पहले चरण के तहत उपायों को कड़ाई से लागू करने के लिए कहा गया है, जिसमें सड़क किनारे बने भोजनालयों, होटलों और रेस्तरां में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
जीआरएपी से संबंधित केंद्र सरकार की उप-समिति की एक बैठक में कहा गया कि पिछले 24 घंटों में क्षेत्र में वायु गुणवत्ता मापदंडों में “अचानक गिरावट” हुई है, जिससे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 212 यानी खराब श्रेणी में पहुंच गया है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक बयान में कहा, “क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के प्रयासों के तहत पूरे एनसीआर में तत्काल प्रभाव से जीआरएपी का पहला चरण लागू करने की आवश्यकता है।”
There has been a decline of more than 52 per cent in Left Wing Extremism related violence, 69 per cent in deaths, 72 per cent in security forces deaths and 68 per cent in civilian deaths between 2014 and 2023 compared to the period from 2005 to 2014: Ministry of Home Affairs pic.twitter.com/65mkVrxfTt
— ANI (@ANI) October 6, 2023
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है। पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201-300 यानी ‘खराब’ होने पर लागू किया जाता है।
दूसरा चरण एक्यूआई 301-400 (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण एक्यूआई 401-450 (गंभीर) होने पर और चौथा चरण एक्यूआई 450 से अधिक (गंभीर से भी ज्यादा) होने पर लागू किया जाता है। पहले चरण के तहत, अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ दंडात्मक और कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।