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नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अकादमिक डिग्री को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय (Gujarat University) द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले (Defamation case) में केजरीवाल को राहत देने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि मुकदमे पर रोक लगाने की केजरीवाल की याचिका हाई कोर्ट में लंबित है और उम्मीद जताई कि हाई कोर्ट 29 अगस्त को सूचीबद्ध तिथि पर मामले पर फैसला करेगा।
Supreme Court refuses to grant relief to Delhi’s Chief Minister Arvind Kejriwal in the criminal defamation case filed by the Gujarat University over his comments in connection with the Prime Minister’s degree.
Supreme Court notes that Kejriwal’s plea to stay the trial is pending… pic.twitter.com/oPUFC3pR2J
— ANI (@ANI) August 25, 2023
गुजरात हाई कोर्ट द्वारा आरटीआई अधिनियम के तहत मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने केजरीवाल और आप नेता संजय सिंह के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों पर मानहानि का मामला दायर किया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है क्योंकि मामला गुजरात हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है और 29 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। पीठ ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय और केजरीवाल अपनी शिकायतें हाई कोर्ट के समक्ष उठा सकते हैं।
शुरुआत में केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल ने तथ्यों को दबाया है।
गुजरात हाई कोर्ट ने 11 अगस्त को केजरीवाल और संजय सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी।
गुजरात की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने पहले पीएम मोदी की डिग्री के संबंध में उनके “व्यंग्यात्मक” और “अपमानजनक” बयानों पर मानहानि मामले में केजरीवाल और सिंह को तलब किया था। मामले को 31 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। बाद में आप के दोनों नेताओं ने मामले में मेट्रोपॉलिटन अदालत के समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया। हालांकि, सत्र अदालत ने 7 अगस्त को मुकदमे पर अंतरिम रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेशन कोर्ट में रिवीजन अर्जी पर अब 16 सितंबर को सुनवाई होगी। वहीं, केवल केजरीवाल ने 11 अगस्त के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
पटेल द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर हैंडल पर मोदी की डिग्री को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए “अपमानजनक” बयान दिए। पटेल ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली उनकी टिप्पणियां अपमानजनक थीं और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची, जिसने जनता के बीच अपना नाम स्थापित किया है। पटेल ने अपनी शिकायत में कहा, “उनके बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।”
गौरतलब है कि 31 मार्च को गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। यह देखते हुए कि आप प्रमुख की आरटीआई याचिका “राजनीतिक रूप से परेशान करने वाली” प्रतीत होती है और “सार्वजनिक हित के ठोस विचारों” पर आधारित होने के बजाय प्रेरित किया गया।