
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
AIIMS Study Report: पिछले कुछ सालों से हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। चलते-फिरते, उठते-बैठते और नाचत-गाते हुए लोग लाशों में तब्दील हो जा रहे हैं। जिसके बाद कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठने शुरू हुए। सोशल मीडिया से लेकर आपसी चर्चाओं तक में यह प्रश्न उमड़ा कि ये हार्ट अटैक कोविड वैक्सीन की वजह से तो नहीं आ रहे? लेकिन अब इससे जुड़ी एक स्टडी सामने आई है।
एम्स नई दिल्ली ने एक रिसर्च स्टडी में पाया है कि कोरोना काल के बाद के बाद अचानक होने वाली मौतों के लिए COVID-19 वैक्सीन ज़िम्मेदार नहीं हैं। बल्कि, दिल की बीमारी इसका असली कारण है। यह स्टडी एम्स के पैथोलॉजी और फोरेंसिक मेडिसिन विभागों द्वारा की गई थी।
यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में पब्लिश हुई थी। स्टडी में दावा किया गया कि कुल मौतों में से 20 प्रतिशत सांस की बीमारियों के कारण, 6.4 प्रतिशत गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों के कारण, 4.3 प्रतिशत अचानक मौतें जेनिटोरिनरी बीमारियों के कारण और 3.2 प्रतिशत दिमाग और सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याओं के कारण हुई हैं।
रिसर्चर्स ने दावा किया कि स्टडी के दौरान उन्हें ऐसी कोई खास सबूत नहीं मिला जो किसी भी अचानक मौत को COVID-19 वैक्सीन से जोड़ता हो। एम्स में पैथोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सुधीर अरावा ने कहा कि हमने एक साल में 100 युवा लोगों की मौतों का अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा कि हमें इन मौतों और COVID-19 वैक्सीनेशन के बीच कोई संबंध नहीं मिला। हमने वैक्सीन से जुड़ी कोई जटिलता नहीं देखी। मायोकार्डिटिस, यानी दिल की मांसपेशियों में सूजन का सिर्फ एक मामला देखा गया। गौरतलब है कि COVID-19 के बाद देश में अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखी गई थी। लोगों ने इन मौतों का कारण COVID-19 वैक्सीन को बताया था।
यह क्रॉस-सेक्शनल स्टडी मई 2023 से अप्रैल 2024 तक की गई थी। स्टडी में बताया गया कि 18 से 45 साल के युवा लोगों में अचानक हुई 94 मौतों में से 40 मौतें दिल की बीमारी के कारण हुईं। इनमें से 85 प्रतिशत मौतें हार्ट अटैक के कारण हुईं। पांच प्रतिशत मौतें स्ट्रक्चरल असामान्यताओं और जन्मजात समस्याओं के कारण हुईं। दिल की सूजन भी दिल की बीमारी से होने वाली पांच प्रतिशत मौतों के लिए ज़िम्मेदार थी।
इसके अलावा ज्यादातर मौतों का कारण खराब लाइफस्टाइल को बताया गया। सांस की बीमारियों से होने वाली 21.3 प्रतिशत मौतों में से आधी मौतें उल्टी, खाना या अन्य तरल पदार्थों से दम घुटने के कारण हुईं। वहीं, निमोनिया और टीबी क्रमशः 30 प्रतिशत और 20 प्रतिशत मौतों के लिए ज़िम्मेदार थे।
यह भी पढें: शराब न पीने वालों का लिवर क्यों डैमेज हो रहा? अमेरिकी डॉक्टर का बड़ा खुलासा, आज ही शुरू करें ये काम
46 से 65 साल के बड़े लोगों में अचानक मौत के कारण युवा लोगों से काफी अलग पाए गए। स्टडी के अनुसार, इस उम्र ग्रुप में लगभग तीन-चौथाई मौतें दिल की बीमारी से हुईं, 14.1 प्रतिशत मौतें अनजान कारणों से हुईं, और 4.4 प्रतिशत मौतें सांस की बीमारियों से हुईं। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय भी हार्ट अटैक के पीछे कोविड वैक्सीन होने को नकार चुका है।






