
नरेन्द्र मोदी और जयराम रमेश (डिजाइन फोटो-सौ. से सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला किया है और सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘मेक इन इंडिया’ को उन्होंने ‘फेक इन इंडिया’ करार दिया है। जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कई उदाहरण देते हुए अपनी बात को साबित करने की कोशिश की है और मोदी सरकार पर बड़ा निशाना साधा है।
कांग्रेस पार्टी के नेता ने सोमवार को आरोप लगाया कि ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत के समय नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसके जो उद्देश्य बताए थे वे ‘जुमले’ साबित हुए हैं और ‘मेक इन इंडिया’ अब ‘फेक इन इंडिया’ बन गया है। कांग्रेस महासचिव और संचार मामलों के प्रभारी जयराम रमेश ने भी कहा कि पिछले दशक में हमारे देश का आर्थिक नीति निर्माण स्थिर, पूर्वानुमान एवं समझदारी से भरा (उदाहरण के लिए, नोटबंदी को याद कीजिए) नहीं रहा है।
जब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 2014 में अपने हर इवेंट की तरह बड़े धूम-धाम के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा की थी, तब चार उद्देश्य निर्धारित किए गए थे। 10 साल बाद उनकी वास्तविक स्थिति क्या है, इसे लेकर एक पड़ताल: पहला जुमला : भारतीय उद्योग की विकास दर को बढ़ाकर 12-14% प्रति… — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 14, 2024
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जब उन्होंने 2014 में बड़े धूम-धाम के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा की थी, तब प्रधानमंत्री ने चार उद्देश्य निर्धारित किए गए थे। 10 साल बाद उनकी वास्तविक स्थिति क्या है, इसकी उन्होंने जांच पड़ताल करने की बात कही और अपनी ओर से उसे जुमला करार देकर ‘मेक इन इंडिया’ को ‘फेक इन इंडिया’ करने की कोशिश की।
पहला जुमला :
भारतीय उद्योग की विकास दर को बढ़ाकर 12-14 प्रतिशत प्रति वर्ष करना। हकीकत : 2014 के बाद से, विनिर्माण क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर औसतन लगभग 5.2 प्रतिशत रही है।
दूसरा जुमला :
2022 तक औद्योगिक क्षेत्र में 10 करोड़ नौकरियां पैदा करना। हकीकत : विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या 2017 में 5.13 करोड़ थी, जो गिरकर 2022-23 में 3.56 करोड़ हो गई।
तीसरा जुमला :
2022 तक और बाद में 2025 तक निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 25 प्रतिशत तक ले जाएंगे। हकीकत : भारत के सकल मूल्य वर्धन में विनिर्माण का हिस्सा 2011-12 में 18.1 प्रतिशत था। यह गिरकर 2022-23 में 14.3 प्रतिशत रह गया है।
चौथा जुमला :
मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठकर चीन का स्थान लेते हुए भारत को ‘दुनिया की नयी फैक्टरी’ बनाएंगे, हकीकत : चीन का स्थान लेना तो दूर, हम आर्थिक रूप से उसी पर निर्भर हो गए हैं। चीन से आयात का हिस्सा 2014 में 11 प्रतिशत था, जो बढ़कर पिछले कुछ वर्षों में 15 प्रतिशत हो गया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पिछले दशक में हमारे देश का आर्थिक नीति निर्माण स्थिर, पूर्वानुमान एवं समझदारी से भरा (उदाहरण के लिए, नोटबंदी को याद कीजिए) नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि डर और अनिश्चितता के माहौल के कारण निजी निवेश में वृद्धि बाधित हुई है। रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा को दबा दिया गया है क्योंकि मोदी जी के करीबी एक या दो बड़े उद्योग समूहों को समर्थन प्राप्त है और उन्हें ही समृद्ध किया गया है। ‘मेक इन इंडिया’ सीधे तौर पर ‘फेक इन इंडिया’ बन गया है।
इसे भी जरूर पढ़ें.. मोदी सरकार के एक और फैसले को चुनौती देगी केरल की वामपंथी सरकार, पिनाराई विजयन पेश करेंगे एक और बिल
अपनी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के 10 साल पूरा होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने कहा था कि विनिर्माण को बढ़ावा देने की इस प्रमुख पहल ने एक सपने को एक शक्तिशाली आंदोलन में बदल दिया है और इसका प्रभाव दर्शाता है कि भारत को रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा था कि यह कार्यक्रम देश को विनिर्माण और नवाचार का केंद्र बनाने के लिए 140 करोड़ भारतीयों के सामूहिक संकल्प को दर्शाता है।






