CJI सूर्यकांत। इमेज-सोशल मीडिया
Chief Justice Surya Kant News: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत ने शनिवार को यूनिफाइड ज्यूडिशियल पॉलिसी (UJP) के बारे में कहा कि अब अदालतों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को सबसे पहले सुना जाएगा। इसके साथ ही व्यापार और आर्थिक मामलों में फैसलों में एकरूपता लाई जाएगी, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़े। परिवार, उपभोक्ता और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों में भी अदालतों का रवैया सहानुभूतिपूर्ण होगा। उन्होंने अदालतों को UJP के पालन का आदेश दिया।
CJI ने जैसलमेर में रीजनल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोग सिर्फ इंसाफ पाने के लिए नहीं, बल्कि इस उम्मीद से अदालतों में आते हैं कि कानून का पालन ठीक से होगा। उनकी आजादी की रक्षा होगी। उनके हक साफ होंगे। सरकारें जवाबदेह होंगी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्याय व्यवस्था का समझ में आने वाला होना बेहद जरूरी है। अदालती भाषा आसान हो तो आम लोग इसे बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और सिस्टम पर उनका भरोसा बना रहेगा। उन्होंने बताया कि फैसलों में एकरूपता, सही वजहें, पुराने फैसलों का ध्यान रखना और समय पर मामलों का निपटारा होना इस समझदारी की जड़ें हैं।
CJI सूर्यकांत ने यह भी कहा कि अगर न्याय व्यवस्था का तरीका समझ से बाहर या उसके कोई तय सिद्धांत न हों तो लोगों का भरोसा कम हो जाता है, क्योंकि लोग यह नहीं समझ पाते कि ऐसे ही दूसरे मामलों में क्या होगा या उनके मामले कब सुलझेंगे। उन्होंने कहा कि जब अदालती फैसले सोच-समझकर, कानून के लगातार इस्तेमाल और नियमों के पारदर्शी विकास से होते हैं तो अदालतों पर भरोसा बढ़ता है। लोग समझते हैं कि इंसाफ किस्मत से नहीं, बल्कि तय नियमों से मिलता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि टेक्नोलॉजी ऐसा जरिया बन गई है, जो कानून के सामने सबको बराबर बनाने, लोगों के लिए न्याय पाना आसान करने और अदालतों को ज्यादा असरदार बनाने में मदद करती है। टेक्नोलॉजी की मदद से अदालतें अपनी चारदीवारी और सरकारी अड़चनों को पार कर सकती हैं। ऐसे फैसले दे सकती हैं, जो समय पर, पारदर्शी और सही सिद्धांतों पर आधारित हों।
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सीजेआई ने कहा कि राज्यों में हाई कोर्ट और देश भर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चलाए जा रहे न्याय सिस्टम अलग-अलग नहीं चल रहे। उन्होंने UJP की जरूरत पर जोर दिया। इस पॉलिसी के तहत टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभाएगी। यह दोनों सिस्टम को एक साथ लाएगी। इसके लिए नियमों को एक जैसा बनाया जाएगा। मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी, देरी को कम किया जाएगा और अलग-अलग जगहों पर दिए जाने वाले फैसलों को एक जैसा रूप दिया जाएगा। CJI ने कहा कि केवल टेक्नोलॉजी कानून का राज कायम नहीं रख सकती है। इसे गहरे संवैधानिक परंपराओं को लेकर चलना होगा, जो अदालती व्यवहार को सहारा देती हैं।