बीजेपी स्थापना दिवस 2025, कॉन्सेप्ट फोटो
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसकी जड़ें भारतीय जनसंघ (स्थापना: 21 अक्टूबर 1951) में निहित हैं, जिसे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रवादी वैचारिक आधार पर गठित किया था। स्वतंत्रता के बाद देश में नेहरूवाद, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और राष्ट्रहितों की उपेक्षा से असंतुष्ट होकर अनेक राष्ट्रवादी विचारकों ने एक वैकल्पिक राजनैतिक मंच की आवश्यकता महसूस की। गांधीजी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगे प्रतिबंध और कांग्रेस में नेहरू के अधिनायकवादी वर्चस्व ने इस वैकल्पिक शक्ति के बीज बोए। डॉ. मुखर्जी ने कश्मीर नीति व अन्य राष्ट्रहित के मुद्दों पर विरोध जताते हुए नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और जनसंघ की नींव रखी। कालांतर में यही विचारधारा भारतीय जनता पार्टी के रूप में विकसित हुई, जो आज राष्ट्रवाद, सुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों की प्रमुख संवाहक के रूप में देश की राजनीति में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
बता दें कि आज 6 अप्रेल को BJP अपना 45 वां स्थापना दिवस मना रही है। भारतीय जनसंघ व भाजपा ने लोकतंत्र को सशक्त विपक्ष देकर मजबूती देने का काम किया था। पार्टी ने आपातकाल का डटकर विरोध किया, चुनाव सुधार और उस समय लोकतांत्रिक मर्यादाओं की रक्षा की। दीनदयाल उपाध्याय, अटल और मोदी जैसे नेतृत्व ने लोकतंत्र को नया विकल्प और भारतीय राजनीति के लिए में नई दिशा बनाई है।
भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक आधार भारतीय जनसंघ (1951) से जुड़ा है, जिसकी स्थापना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय अखंडता और कश्मीर के विशेषाधिकार के विरोध में की थी। नेहरू की नीतियों के विरोध में उन्हें कश्मीर में गिरफ्तार कर रहस्यमय परिस्थितियों में अपनी जान गंवानी पड़ी। इसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने संगठन को दिशा दी और एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत कर पार्टी को वैचारिक मजबूती दी। भारत-चीन युद्ध के दौरान जनसंघ ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर नेहरू की कमजोर नीतियों का कड़ा विरोध किया। 1967 में दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस के लंबे एकाधिकार को चुनौती मिली और कई राज्यों में जनसंघ के समर्थन से कांग्रेस की पराजय हुई। यह भाजपा के भविष्य की नींव थी, जो आगे चलकर एक सशक्त राष्ट्रवादी विकल्प के रूप में उभरी।
1970 के दशक में कांग्रेस की निरंकुशता के विरुद्ध जनआंदोलन उभरे। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विरोध तीव्र हुआ। डरकर इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू किया, लोकतंत्र कुचला गया, नेता जेल में डाले गए, प्रेस पर सेंसर लगा। जनता ने विरोध तेज किया, मैडम गांधी ने 18 जनवरी 1977 को लोकसभा भंग कर दी और नये जनादेश की तरफ रुख किया। 1 मई, 1977 को जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी बनी, जिसमें जनसंघ सहित कई विपक्षी दल एकजुट हुए। 1977 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और जनता पार्टी सत्ता में आई। 5000 प्रतिनिधियों के साथ जनसंघ ने जनता पार्टी में विलय किया।
जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता विवाद गहराया, जिसमें जनसंघ से आए नेताओं को संघ से संबंध रखने पर निशाना बनाया गया। विरोधस्वरूप उन्होंने पार्टी से अलग होकर 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की, जो नए युग की शुरुआत थी। उस समय यह कहा गया कि जनता पार्टी के सदस्य संघ के सदस्य नहीं हो सकते है।
अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में स्थापित भाजपा ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और राम मंदिर आंदोलन से राष्ट्रीय पहचान बनाई। 1996 में पहली बार केंद्र में सरकार बनी, 1998 और 1999 में राजग के नेतृत्व में फिर सत्ता में आई। अटल जी के नेतृत्व में पोखरण परमाणु परीक्षण, कारगिल विजय, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास, सुशासन, आंतरिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता जैसे ऐतिहासिक कार्य हुए। भाजपा ने विकास, राष्ट्रवाद और मजबूत नेतृत्व के साथ भारतीय राजनीति में नई दिशा दी। भारतीय जनसंघ और भाजपा ने कश्मीर, धारा 370, गोवा मुक्ति, बेरूबाड़ी-कच्छ विवाद जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय अखंडता के लिए सतत संघर्ष किया। अटलजी की सरकार ने भारत को परमाणु शक्ति बनाकर विश्व में सशक्त राष्ट्र का संदेश दिया।
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2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई, जो “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र के साथ राष्ट्रनिर्माण के ध्येय की लॉ देश में जुटा दी थी। सुशासन, विकास और राष्ट्रवाद को केंद्र में रखते हुए सरकार ने जनधन, स्वच्छता, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, कृषि सुधार, सामाजिक सुरक्षा और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है। भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है।
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भाजपा का कहना है कि वो राजनीति को केवल सत्ता का माध्यम नहीं, अपितु राष्ट्रनिर्माण का साधन मानती है। इसकी विचारधारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, एकात्म मानववाद व पंचनिष्ठाओं पर आधारित है, जो संगठन से लेकर शासन नीति तक स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित होती है।