अमित शाह ने नक्सलियों का युद्धविराम प्रस्ताव ठुकराया (फोटो- सोशल मीडिया)
Home Minister Amit Shah on Naxal-free India: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों द्वारा दिए गए संघर्ष विराम के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज करते हुए एक कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सरकार किसी भी तरह के युद्धविराम के पक्ष में नहीं है और नक्सलियों के पास अब केवल दो ही रास्ते हैं- या तो वे हथियार डालकर आत्मसमर्पण करें या फिर सुरक्षाबलों की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। शाह ने अगले साल मार्च के अंत तक देश से नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
नई दिल्ली में ‘नक्सल मुक्त भारत’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति बिल्कुल साफ है। जो लोग मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया, “हथियार डाल दीजिए, एक भी गोली नहीं चलेगी।” अमित शाह ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों के लिए एक बहुत ही आकर्षक और लाभदायक पुनर्वास नीति तैयार की गई है, जिससे उन्हें समाज में फिर से सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
अमित शाह ने नक्सलियों द्वारा भेजे गए संघर्ष विराम के पत्र को भ्रम फैलाने की एक चाल बताया। उन्होंने कहा, “हाल ही में एक पत्र लिखकर यह भ्रम फैलाने की कोशिश की गई कि जो हुआ वह एक गलती थी और अब युद्धविराम होना चाहिए। मैं साफ कहना चाहता हूं कि कोई युद्धविराम नहीं होगा।” उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आत्मसमर्पण ही करना है तो फिर युद्धविराम की कोई जरूरत नहीं है। सरकार की यह दृढ़ता दिखाती है कि अब बातचीत नहीं, सिर्फ कार्रवाई होगी, जिसका लक्ष्य हिंसक माओवाद का पूर्ण सफाया है।
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गृह मंत्री ने इस धारणा को भी सिरे से खारिज कर दिया कि नक्सलवाद विकास की कमी के कारण पनपता है। उन्होंने इसके लिए वामपंथी दलों को वैचारिक रूप से जिम्मेदार ठहराया। अमित शाह ने कहा कि सच तो यह है कि “लाल आतंक” के कारण ही देश के कई हिस्सों में दशकों तक विकास नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा कि माओवादियों ने स्कूलों, सड़कों और अस्पतालों को बनने से रोका, जिससे गरीब और आदिवासी समाज विकास की दौड़ में पिछड़ गया। सरकार अब इन क्षेत्रों में तेजी से विकास कार्य कर रही है।