अमित शाह ने संसद में सुना दी 'वोट चोरी' की अनसुनी कहानी (फोटो- IANS)
Home MinisterAmit Shah Lok Sabha Speech: लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर हो रही चर्चा उस वक्त ऐतिहासिक बहस में बदल गई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इतिहास के पन्ने पलटते हुए कांग्रेस पर अब तक का सबसे करारा हमला बोला। शाह ने सदन में खड़े होकर सीधे तौर पर देश के पहले प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिए। उन्होंने विपक्ष को आईना दिखाते हुए कहा कि लोकतंत्र की दुहाई देने वाले लोग ही असल में ऐतिहासिक ‘वोट चोरी’ की बुनियाद पर खड़े हैं। उनके इस भाषण ने न केवल संसद में बल्कि पूरे देश के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि विपक्ष अक्सर भाजपा पर सत्ता विरोधी लहर का असर न होने की बात करता है, जबकि सच्चाई यह है कि जनहित के काम करने वाली सरकारें ही बार-बार चुनकर आती हैं। उन्होंने आंकड़े गिनाते हुए स्वीकार किया कि भाजपा भी 2014 के बाद कई राज्यों में चुनाव हारी है, लेकिन उन्होंने कभी ईवीएम या चुनाव आयोग पर ठीकरा नहीं फोड़ा। शाह ने तंज कसते हुए कहा कि जब कांग्रेस जीतती है तो सब ठीक होता है, लेकिन हारते ही उन्हें मतदाता सूची में खोट नजर आने लगती है। उन्होंने साफ किया कि लोकतंत्र में ऐसे दोहरे मापदंड अब नहीं चलने वाले हैं।
गृह मंत्री ने कांग्रेस के पुराने इतिहास को कुरेदते हुए एक बेहद चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जब देश का प्रधानमंत्री चुना जाना था, तब सरदार पटेल को 28 वोट मिले थे जबकि जवाहरलाल नेहरू को केवल दो। इसके बावजूद, हैरानी की बात है कि नेहरू प्रधानमंत्री बन गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे आजादी के बाद की पहली ‘वोट चोरी’ करार दिया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया और याद दिलाया कि कैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को रद्द कर दिया था, जिसके बाद संसद में कानून बदलकर उन्हें बचाया गया। शाह ने सोनिया गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि एक वक्त ऐसा भी था जब नागरिकता मिलने से पहले ही उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया गया था, जो नियमों के बिल्कुल खिलाफ था।
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भाषण के दौरान माहौल तब और गरमा गया जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी सीट से खड़े होकर टोकने की कोशिश की। इस पर अमित शाह ने कड़े तेवर दिखाते हुए उन्हें तुरंत अपनी सीट पर बैठने की नसीहत दे डाली। शाह ने दो टूक कहा कि सदन में विपक्ष की ‘मुंसिफगीरी’ नहीं चलेगी और वे उनके सवालों का जवाब अपनी मर्जी और तय क्रम से ही देंगे। उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वे अपनी हार के लिए ईवीएम या चुनाव आयोग को दोष देने के बजाय अपने नेतृत्व और काम करने के तरीके पर आत्मचिंतन करें। शाह ने यह भी याद दिलाया कि ईवीएम राजीव गांधी के समय में ही लाई गई थी, इसलिए आज उस पर सवाल उठाना खुद अपने ही नेताओं पर सवाल उठाने जैसा है।