वक्फ बिल के विरोध में एआईएमपीएलबी की रणनीति
नई दिल्ली : वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश किया जा रहा है जिसे लेकर सभी विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। बोर्ड ने इसे एक ‘काला कानून’ करार दिया है। यह मुसलिम समुदायों के अधिकारों का हनन करने और उन्हें खतरे में डालने वाला विधेयक है। सरकार की इस मानमानी के खिलाफ वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए पेश किया गया। यह विधेयक पारित हो जाता है तो गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। एआईएमपीएलबी (AIMPLB) के सदस्य मोहम्मद अदीब ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को जब्त करने का सरकार का प्रयास है। इस विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विचार-विमर्श के दौरान इसका विरोध किया गया था।
एआईएमपीएलबी के सदस्य अदीब ने कहा कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम लड़ाई हार गए हैं। हमने अभी शुरुआत की है। यह देश को बचाने की लड़ाई है, क्योंकि प्रस्तावित कानून भारत के मूल ढांचे को खतरे में डालता है। उन्होंने कहा कि सभी जागरूक नागरिकों से विधेयक का विरोध करें और एआईएमपीएलबी की इस विधेयक का कानूनी रूप से और प्रदर्शन के जरिए विरोध करें। अदीब ने कहा कहा कि हम इस ‘काले कानून’ के विरोध में अदालत जाएंगे। जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, हम चैन से नहीं बैठेंगे।
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता मोहम्मद अली मोहसिन ने कहा कि हमने यह लड़ाई इसलिए शुरू की है क्योंकि हम देश को बचाना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य इस काले कानून को खत्म कराना है। मोहसिन ने कहा कि हम किसानों की तरह पूरे देश में विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो सड़कें जाम करेंगे और बिल का विरोध करने के लिए सभी शांतिपूर्ण कदम उठाएंगे।
देश की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें
वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले 1995 के अधिनियम में संशोधन करना है। केंद्र ने कहा है कि संशोधनों का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है। यह विधेयक पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया। इसकी जांच के बाद इस साल फरवरी में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। विधेयक में विवादास्पद बदलावों में केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के लिए प्रावधान शामिल है। इसके साथ ही वक्फ के रूप में पहचानी जाने वाली कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रह जाएगी।