संजीव खन्ना फोटो (सोर्स - एक्स)
नई दिल्ली : चुनावी बॉण्ड योजना को खत्म करने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जैसे सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सोमवार 11 नवंबर को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। बता दें, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 11 नवंबर को 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी।
जस्टिस खन्ना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे जो रविवार को रिटायर हुए हैं। जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल केवल 6 महीने का ही रहेगा और 13 मई 2025 को खत्म होगा। केंद्र ने 16 अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सिफारिश के बाद 24 अक्टूबर को जस्टिस खन्ना की नियुक्ति को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया।
जस्टिस खन्ना उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था। जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने ही पहली बार आबकारी नीति घोटाला मामलों में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को एक जून तक अंतरिम जमानत दी थी।
11 नवंबर से जस्टिस संजीव खन्ना के पास CJI का पद होगा, तो उनके कार्यकाल के पहले कुछ महीनों में यह तय हो जाएगा कि वे चंद्रचूड़ की नक्शे पर चलते हैं या फिर अपनी अलग राह बनाते हैं। खन्ना का न्यायिक करियर काफी मजबूत रहा है और उन्हें संविधानिक मामलों में गहरी समझ और अनुभव है। हालांकि, उनका कार्यकाल चंद्रचूड़ से बिल्कुल अलग परिस्थितियों में शुरू हो रहा है, खासकर जब देश में कई संवैधानिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस जारी है।
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति देव राज खन्ना के बेटे और शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह लंबित मामलों को कम करने और न्याय मुहैया कराने में तेजी लाने पर जोर देते रहे हैं।
संजीव खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। न्यायमूर्ति खन्ना राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन कराया और शुरुआत में यहां तीस हजारी परिसर में जिला अदालत में और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की।
आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में उनका कार्यकाल लंबा रहा। 2004 में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त सरकारी अभियोजक और न्याय मित्र के रूप में कई आपराधिक मामलों में भी अदालत की सहायता की थी।
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