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दीपावली के बाद कहीं खराब न हो जाए आपका हाजमा, आयुर्वेदिक उपायों के जरिए रखें सेहत का ख्याल

Health Tips for Diwali: आयुर्वेद मानता है कि ये शरीर में बनने वाले टॉक्सिन्स की वजह से होता है जो अग्नि (पाचनशक्ति) के मंद पड़ने से उत्पन्न होता है। दिवाली के मौके पर आप ख्याल रख सकते है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 20, 2025 | 07:00 AM

दिवाली में रखें सेहत का ख्याल ( सौ. सोशल मीडिया)

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Diwali Health Tips: आज देशभर में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार दीपों की रोशनी के साथ स्वादिष्ट पकवानों वाला त्योहार है। त्योहार की खुशियों के साथ कई बार हम मिठाईयों और पकवानों का सेवन कुछ ज्यादा ही कर लेते है। इसका असर दीवाली के बाद वाले हैंगओवर में हाजमा खराब कर देने वाली स्थिति बनाता है। त्योहार में हमारा शरीर और मन अक्सर थकान और असंतुलन का अनुभव करते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आयुर्वेद में कुछ खास उपायों के बारे मे बताया गया है।

आयुर्वेद मानता है कि ये शरीर में बनने वाले टॉक्सिन्स की वजह से होता है जो अग्नि (पाचनशक्ति) के मंद पड़ने से उत्पन्न होता है। चरक संहिता और अष्टांग हृदयम में इस स्थिति को विशेष ध्यान देने योग्य बताया गया है।

जानिए आयुर्वेद क्या कहता है

यहां पर आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता में ‘त्योहार’ शब्द सीधे नहीं आता, लेकिन अतिभोजन, अनियमित दिनचर्या या उल्लास के बाद आहार-संयम की बात अनुवर्तनिक स्थितियों (जैसे उत्सव, विवाह, भोज आदि) से जोड़कर समझाई गई है। इस त्योहार में “अतिसेवनात् उत्पन्न दोष” के रूप में बताया गया है – यानी जब व्यक्ति आनन्द या उत्सव में स्वाद के पीछे अधिक खा लेता है, तो अग्नि (पाचनशक्ति) मंद होती है और ‘आम’ जमा होता है। ऐसे समय लघु, सुपाच्य आहार लेने की सलाह दी गई है।

वहीं पर इस ग्रंथ में यह भी कहा गया है कि, जब अग्नि मंद पड़ती है और अत्यधिक भोजन या अनियमित दिनचर्या से दोष उत्पन्न होते हैं, तो हल्का, सुपाच्य आहार लेना ही सबसे उपयुक्त उपाय है। ग्रंथों में वर्णित है – “मन्देअग्नौ लघुपानभोजनं हितम्” ( अध्याय 46, अन्नपान विधि) अर्थात् मंद अग्नि के समय हल्का और सुपाच्य भोजन ही हितकारी है। यही कारण है कि दिवाली के बाद हल्की खिचड़ी, दाल-चावल, या सुपाच्य मांड जैसी चीजें आदर्श मानी जाती हैं।

जानिए आयुर्वेदिक उपायों के बारे में

  • त्योहार में खाने के दौरान कई बार स्वास्थ्य के खराब होने की स्थितियां बनती है। इसमें ही त्योहारों के दौरान बढ़ा हुआ कफ और वात, पेट फूलना, भारीपन, गैस और फेफड़ों में जमा धुआं जैसी समस्याओं को बढ़ा देता है। इसके अलावा आयुर्वेद में इस स्थिति में शोधन और अभ्यंग की सलाह दी गई है।
  • अभ्यंग, यानी तिल या हल्के आयुर्वेदिक तेल से शरीर की मालिश, वात दोष को शांत करती है, रक्त संचार बढ़ाती है और मानसिक थकान को दूर करती है। यह केवल शारीरिक विश्राम ही नहीं देता, बल्कि मन को भी स्थिर करता है।
  • इसके अलावा चरक संहिता के अनुसार यह भी कहा गया है कि, अगर आप ज्यादा भोजन कर लेते है तो, उत्सव के बाद त्रिकटु (सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली) और हिंगवाष्टक जैसी जड़ी-बूटियों का सेवन करना चाहिए। इन जड़ी-बूटियों का सेवन करने से पाचन अग्नि को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। ये मसाले पेट की अम्लता और गैस को संतुलित करते हैं और पाचन तंत्र को सामान्य स्थिति में लौटाते हैं।
  • मन की शांति के लिए प्राणायाम और मौन का अभ्यास करना ज्यादा फायदा दिलाने वाला काम करता है।

ये भी पढ़ें- पेट की हर समस्या का समाधान, ईसबगोल का इस तरीके से करें सही इस्तेमाल

  • इसके अलावा आयुर्वेद में कहा गया है कि अत्यधिक शोर, रोशनी और सामाजिक गतिविधियों के कारण मन में चिड़चिड़ापन और बेचैनी पैदा होती है। ऐसे में योग कारगर है। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और पांच मिनट का मौन ध्यान शरीर और मन दोनों के लिए एक प्राकृतिक शुद्धि का काम करता है।

आईएएनएस के अनुसार

Take care of your health this diwali with ayurvedic remedies

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Published On: Oct 20, 2025 | 07:00 AM

Topics:  

  • Ayurvedic Medicine
  • Diwali
  • Lifestyle News

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