सांकेतिक एआई तस्वीर
Reels effects on Body: हाल ही में हुई रिसर्च के अनुसार, आजकल लोग अपना अधिकांश समय स्मार्टफोन पर व्यतीत कर रहे हैं, खासकर सोशल मीडिया रील्स, वीडियो और ई-बुक्स पढ़ने में। अध्ययन में पता चला है कि लगातार एक घंटे तक मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों में थकान और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
जर्नल ऑफ आई मूवमेंट रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, आंखों की थकान केवल स्क्रीन पर बिताए समय पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप किस प्रकार का कंटेंट देख रहे हैं।
एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने बताया कि रील्स देखने से आंख की पुतली में किताब पढ़ने या वीडियो देखने की तुलना में ज्यादा बदलाव आता है। शोध में यह भी बताया गया कि अगर कोई लगातार 20 मिनट से ज्यादा समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करता है, तो इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसमें मानसिक तनाव जैसी समस्याएं भी शामिल हैं।
मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) को लंबे समय तक देखने से आंखों में थकान, नींद में परेशानी और देखने से जुड़ी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
इसका असर जानने के लिए वैज्ञानिकों ने एक किफायती और पोर्टेबल सिस्टम विकसित किया, जो आंखों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इस सिस्टम की मदद से यह देखा गया कि आप एक मिनट में कितनी बार पलकें झपकाते हैं, दो झपकों के बीच कितना समय होता है, और पुतली (pupil) का आकार कितना बदलता है। ये माप मोबाइल पर 1 घंटे तक किताब पढ़ने, वीडियो देखने और सोशल मीडिया रील्स देखने के दौरान लिए गए।
यह भी पढे़ें:- 2050 तक 3.9 करोड़ मौतें… क्या AI की खोज से बचेंगी लाखों जिंदगियां? बैक्टीरिया के खिलाफ दवाएं तैयार
शोधकर्ताओं ने बताया कि सोशल मीडिया रील्स की स्क्रीन पर लगातार बदलती रोशनी और चमक से आंखों की पुतली लगातार सिकुड़ती और फैलती रहती है। इससे पलकें कम झपकती हैं और आंखों में थकान बढ़ जाती है।
अध्ययन में पाया गया कि 60 प्रतिशत लोगों को लंबे समय तक मोबाइल इस्तेमाल करने के बाद आंखों की थकान, गर्दन में दर्द और हाथों में कमजोरी जैसी समस्याएं हुईं। इसके अलावा, 83 प्रतिशत लोगों ने मानसिक परेशानियों की शिकायत की, जैसे चिंता, नींद न आना और मानसिक थकान। इन परेशानियों को घटाने के लिए 40% लोगों ने ब्लू लाइट फिल्टर या डार्क मोड जैसे विकल्प इस्तेमाल किए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)