
नाड़ीशोधन प्राणायाम (सौ.सोशल मीडिया)
Nadi Shodhan Pranayama: स्वस्थ शरीर के लिए योगासन के साथ प्राणायाम करना बेहद जरूरी होता है। इसमें तन से लेकर मन की शुद्धि के लिए योग और प्राणायाम बेहतर विकल्प के रूप में काम करता है। व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए जितना जरूरी संतुलित आहार लेना होता है उतना ही योग और प्राणायाम को नियमित करना भी जरूरी होता है। इनमें ही नाड़ीशोधन प्राणायाम को सबसे सरल और प्रभावी तकनीकों में से एक माना जाता है। यह प्राणायाम न केवल सांस को संतुलित करता है, बल्कि मन-मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद होता है।
इस नाड़ी शोधन प्राणायाम को हर व्यक्ति की सेहत के लिए वरदान माना गया है। कहते हैं कि, इस आसन को अगर हम नियमित रूप से करते है तो, मन में निश्चलता आती है, गहरी शांति का अनुभव होता है साथ ही एकाग्रता में वृद्धि होती है। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा द्वारा इस नाड़ीशोधन प्राणायाम को करने के तरीके के बारे में बताया गया है।
आप यहां पर नाड़ीशोधन प्राणायाम को कर सकते है। अभ्यास के लिए किसी जगह पर सुखासन, पद्मासन या कुर्सी पर सीधी रीढ़ करके बैठें। दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर दाहिने हाथ की अनामिका व कनिष्ठा उंगली से बायीं नासिका बंद कर दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। फिर दाहिनी नासिका से ही सांस लें और बायीं से छोड़ें। इस क्रम को दोहराएं। एक चक्र पूरा होने पर दोनों नासिकाओं से सामान्य श्वास लें। शुरुआत में इसका अभ्यास 5 से10 मिनट और धीरे-धीरे करना चाहिए।खाली पेट सुबह के समय इसका अभ्यास सबसे उत्तम माना जाता है।
इस तरीके से नाड़ी शोधन प्राणायाम करना जरूरी होता है लेकिन कुछ सावधानी बरतनी भी जरूरी है।इस प्राणायाम को कभी जबरदस्ती न करें। सांस लेना-छोड़ना पूरी तरह सहज और स्वभाविक होना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या गंभीर नाक की समस्या वाले व्यक्तियों को योग प्रशिक्षक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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अगर आप नियमित तौर पर नाड़ी शोधन प्राणायाम कर रहे है तो इसके कई फायदे आपको मिलते है।






