
पैरों की सूजन को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय (सौ. सोशल मीडिया)
Swollen Feet: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पैरों की सूजन एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या बन चुकी है। लंबे समय तक खड़े रहना, लगातार बैठे रहना, या घंटों तक यात्रा करना—इन सभी का सीधा असर हमारे पैरों पर पड़ता है। सूजन तब होती है जब शरीर के किसी हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं। सामान्य स्थितियों में यह हानिकारक नहीं होती, लेकिन अगर सूजन बार-बार या लगातार बनी रहे, तो यह शरीर में किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय, गुर्दे या यकृत से जुड़ी समस्या का संकेत भी हो सकती है।
आयुर्वेद में इस समस्या को ‘शोथ’ कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से उत्पन्न होती है। वहीं, आधुनिक विज्ञान के अनुसार, रक्त संचार में रुकावट, शरीर में नमक की अधिकता, या पानी के रुक जाने से सूजन होती है। दोनों ही दृष्टिकोण यह मानते हैं कि जब शरीर का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, तो तरल पदार्थ ऊतकों में जमा होकर सूजन पैदा करते हैं। आप आयुर्वेद के कुछ उपायों के जरिए इस समस्या से राहत पा सकते है जो इस प्रकार है।
1. गुनगुने पानी में नमक डालकर पैर डुबोना
यह सबसे सरल और प्रभावी घरेलू उपायों में से एक है। गुनगुने पानी में नमक डालकर पैरों को 15-20 मिनट तक डुबोकर रखने से सूजन में तुरंत राहत मिलती है। नमक शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित रखता है और त्वचा के रोमछिद्रों से अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे ‘स्वेदन क्रिया’ कहा गया है, जो शरीर की जकड़न और सूजन दोनों को कम करती है।
2. बर्फ की सिकाई
यदि पैरों में सूजन के साथ दर्द और जलन भी हो, तो बर्फ की सिकाई बेहद लाभकारी होती है। विज्ञान के अनुसार, ठंडा तापमान रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है, जिससे तरल पदार्थ का रिसाव कम होता है और सूजन घटती है। आयुर्वेद में इसे ‘शीतल उपचार’ कहा गया है, जो सूजन और दर्द दोनों से राहत देता है। ध्यान रखें कि बर्फ की सिकाई 10–15 मिनट से अधिक न करें।
3. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
सेब का सिरका पोटेशियम और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर से अतिरिक्त पानी निकालने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे दोष संतुलन करने वाला माना गया है। गुनगुने पानी में सेब का सिरका मिलाकर पैरों को भिगोने या उससे हल्की मालिश करने से सूजन और थकान दोनों कम होती हैं।
4. अदरक का प्रयोग
अदरक में मौजूद जिंजरॉल एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व है जो सूजन को कम करता है। अदरक का रस प्रभावित हिस्से पर लगाने या अदरक की चाय पीने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और सूजन में आराम मिलता है। आयुर्वेद में अदरक को ‘विश्व औषधि’ कहा गया है, जो वात दोष को संतुलित कर शरीर की ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है।
5. हल्दी वाला दूध
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वों को निष्क्रिय करता है। रात में सोने से पहले गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से शरीर में रक्त संचार सुधरता है और सूजन कम होती है। आयुर्वेद में हल्दी को ‘हरिद्रा’ कहा गया है, जो रक्त को शुद्ध करती है और शोथ को जड़ से मिटाने में मदद करती है।
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जीवनशैली में सुधार भी जरूरी
पैरों की सूजन को केवल बाहरी उपायों से नहीं, बल्कि जीवनशैली सुधार से भी रोका जा सकता है। रोज़ाना थोड़ी देर टहलना, ज्यादा देर तक एक ही स्थिति में न बैठना, नमक का सेवन नियंत्रित रखना, और पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, पैरों को ऊंचाई पर रखकर सोना भी रक्त संचार को बेहतर बनाता है और सूजन घटाने में मदद करता है।






