प्रतिकात्मक तस्वीर, फोटो - प्क्सेल्स
नवभारत डिजिटल डेस्क : अकसर कहा जता है कि आप जितना ज्यादा पानी पिएंगे, उतना ही यह आपके सेहत के लिए फायदेमंद होगा। वैसे तो पानी में बहुत सारे एलिमेंट पाए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से इन्सानों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है? यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल ही में हुई स्टडीज से इस बात का खुलासा हुआ है।
इतना ही नहीं पानी में मौजूद फ्लोराइड से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को पहुंचती है। पानी में मौजूद फ्लोराइड का असर बच्चों पर इतना बुरा पड़ता है कि बच्चे की आईक्यू लेवल को भी कमजोर कर सकता है। पहली बार वैज्ञानिकों ने बच्चों में फ्लोराइड एक्सपोजर और आईक्यू लेवल के बीच संबंध के सबूत जुटाए हैं। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते जाइए इस आर्टिकल को अंत तक।
भूजल या सरकारी जलापूर्ति में फ्लोराइड की मात्रा अगर तय सीमा से अधिक पाई जाती है और उसका एक्सपोजर बार-बार हो रहा है तो बच्चों के आईक्यू का स्तर कम होने की आशंका बढ़ जाती है। इस स्टडी को जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है। इसमें 10 देशों के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक साथ रिसर्च किया है। इन दस देशों में भारत, चीन, कनाडा, डेनमार्क, ईरान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, स्पेन व ताइवान के नाम शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने बच्चों के मूत्र में फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम/लीटर पाई और उनके आईक्यू लेवल में 1.63 अंक की कमी दर्ज की है। उच्च मात्रा में फ्लोराइड की न्यूरो टॉक्सिसिटी के बारे में तमाम जानकारियां मौजूद हैं, लेकिन इस स्टडी का एक सुझाव यह भी है कि 1.5 मिलीग्राम/लीटर से कम मात्रा भी बच्चों में आईक्यू लेवल को नुकसान दे सकती है। यह इसलिए, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक एक लीटर पानी में 1.5 मिलीग्राम तक फ्लोराइड को सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, इससे कम मात्रा कितनी होनी चाहिए इसके बारे में फिलहाल रिसर्चर्स ने स्पष्ट नहीं किया है।
भारत के लिए यह स्टडी इसलिए अहम है, क्योंकि साल 2022 में केंद्र की एक रिपोर्ट में 23 राज्यों के 370 जिलों में पानी अधिक फ्लोराइड युक्त पाया गया था। इसमें उत्तर प्रदेश के 36 और मध्य प्रदेश में 44 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में फ्लोराइड की अधिकता सबसे ज्यादा है। वहीं, आंध्र प्रदेश के 12, तेलंगाना के 10, असम के 17, बिहार के 13 छत्तीसगढ़ के 22, दिल्ली के 07, गुजरात के 24, हरियाणा के 21, हिमाचल के 1, जम्मू-कश्मीर के दो एवं झारखंड के 16 जिले इससे प्रभावित हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रति लीटर 2.37 मिलीग्राम से ज्यादा फ्लोराइड पाया गया है। देश के ग्रामीण हिस्सों में फ्लोराइड शहरों की तुलना में 1.85 गुना ज्यादा पाया गया।
दिल्ली के मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज के डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार इस बारे में मीडिया से बताते हैं कि फ्लोराइड के लाभ और जोखिम दोनों साथ-साथ हैं। जल फ्लोराइडीकरण के जरिए बच्चों में दांतों की सड़न और वयस्कों में दांतों के झड़ने की समस्या को तेजी से कम किया जा सकता है।
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यह दांतों में एसिड के टूटने से नष्ट हुए खनिजों को फिर से प्राप्त करने में मदद करता है। कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से पैदा होने वाले एसिड को कम करता है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इससे कमजोर समुदायों को तंत्रिका संबंधी नुकसान का अधिक खतरा हो सकता है।
पानी में मौजूद फ्लोराइड के बच्चों पर नुकसान को लेकर सामने आई इस रिपोर्ट को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि स्वच्छ पानी को लेकर अलग-अलग एजेंसी के जरिए हमें जानकारी मिलती रहती है, लेकिन खराब गुणवत्ता वाला पानी कैसे आसपास के क्षेत्र में इन्सानों के लिए जोखिम बना हुआ है, इसके बारे में भी जांच होनी चाहिए। उदाहरण के लिए जिन जिलों में पानी आपूर्ति में फ्लोराइड अधिक है, वहां के बच्चों में आईक्यू के स्तर की जांच होनी चाहिए।
डिस्क्लेमर : इस खबर को जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा किए गए स्टडी के आधार पर नवभारतलाइव डॉट कॉम की टीम ने संपादित की है। हम अपने डिजिटल यूजर्स से आग्रह करेंगे कि अपने सेहत का ख्याल रखने के लिए इनटरनेट से नुस्खा लेने के बजाए डॉक्टर से कंसल्ट करें।