आयुर्वेद में काली हल्दी के फायदे (सौ.सोशल मीडिया)
Black Turmeric Benefits: हल्दी भारतीय रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाती है बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जानी जाती है। वहीं,अगर बात काली हल्दी की करें तो यह एक बेहद खास और दुर्लभ औषधीय पौधा है, जिसे आम हल्दी की तरह रोजमर्रा के मसाले के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता।
आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में इसे एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। काली हल्दी का वैज्ञानिक नाम कुरकुमा कैसिया है।
दिखने में यह सामान्य हल्दी जैसी ही होती है, लेकिन इसके कंद (जड़) को काटने पर अंदर से नीले-काले रंग की परत दिखाई देती है। यही अनोखा रंग और इसकी तीखी सुगंध इसे बाकी हल्दी से अलग पहचान देती है। प्राचीन समय में इसे बहुत संभालकर रखा जाता था और आवश्यकता पड़ने पर ही इसका उपयोग किया जाता था।
आयुर्वेद के अनुसार, काली हल्दी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका उपयोग दर्द, सूजन, अस्थमा, सांस संबंधी समस्याओं और जोड़ों के दर्द में किया जाता रहा है। इसमें मौजूद प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व शरीर की सूजन को कम करने में सहायक माने जाते हैं।
ग्रामीण इलाकों में काली हल्दी को घरेलू औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। फोड़े-फुंसी, कीड़े के काटने, चोट या घाव पर काली हल्दी को पीसकर लेप के रूप में लगाया जाता था। कई जगहों पर सरसों के तेल के साथ इसे हल्का गर्म कर लगाने की परंपरा भी रही है।
काली हल्दी केवल औषधीय गुणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी बताया जाता है। तांत्रिक साधना और लक्ष्मी पूजा में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि काली हल्दी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सकारात्मकता लाती है। इसी कारण इसे ताबीज या पूजा की वस्तु के रूप में भी रखा जाता था।
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आज के समय में काली हल्दी आसानी से उपलब्ध नहीं होती। इसे उगाने में अधिक समय लगता है और आधुनिक दवाओं के बढ़ते चलन के कारण पारंपरिक जड़ी-बूटियों का उपयोग भी कम हो गया है। हालांकि, अब लोग फिर से प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचारों की ओर लौट रहे हैं, जिससे काली हल्दी के महत्व को दोबारा पहचाना जा रहा है।