अनुलोम-विलोम करने के फायदे
Benefits Of Anulom Vilom: आजकल की बिजी शेड्यूल, काम के बोझ और रोज की भागदौड़ ने इन दिनों लोगों का जीवन काफी मुश्किल बना दिया है। ऐसे में बिगड़ती जीवनशैली की वजह से लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक समस्याओं का भी शिकार होते जा रहे हैं। लेकिन, आपको बता दें, अगर आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते है तो अनुलोम-विलोम प्राणायाम आपके लिए एक बेहतरीन उपाय हो सकता हैं।
यह एक तरह का श्वसन अभ्यास है जो मानसिक तनाव को कम करने, शरीर में ऊर्जा को बढ़ाने और कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है। ऐसे में आइए जानते हैं अनुलोम-विलोम प्राणायाम के 5 ऐसे फायदे जिनको जानने के बाद आप भी इसे अपने रुटीन में हर हाल में शामिल करना चाहेंगे।
रोजाना अनुलोम-विलोम करने के फायदे
तनाव और चिंता कम
योग एक्सपर्ट्स के अनुसार, रोज़ाना अनुलोम-विलोम करने से तनाव और चिंता में कमी आती है। यह श्वास के धीमे और गहरे प्रवाह के कारण शरीर और मस्तिष्क में शांति और संतुलन लाता है, जिससे मानसिक तनाव में राहत मिलती है।
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अच्छी नींद
यह प्राणायाम ब्रीदिंग को नियमित करके नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है। यह अनिद्रा और नींद न आने की समस्याओं से राहत दिलाता है।
ब्लड प्रेशर नियंत्रण
अनुलोम-विलोम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और हाई बीपी से जुड़े जोखिमों को कम करता है।
इम्यूनिटी पावर बढ़ना
रोज़ाना अनुलोम-विलोम करने से शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ती है। यह शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
माइग्रेन की परेशानी में लाभ
माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या से परेशान लोगों के लिए यह प्राणायाम बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह सिर दर्द को कम करता है और मानसिक शांति देता है।
एनर्जी का स्तर बढ़ाता है
यह प्राणायाम शरीर में एनर्जी के प्रवाह को बढ़ाकर थकान और सुस्ती को कम करता है।
बेहतर डायजेशन
अनुलोम-विलोम से पाचन क्रिया बेहतर होती है। यह पेट की समस्याओं को दूर करने और खून की आपूर्ति को सही तरीके से शरीर के अंगों तक पहुंचाने में मदद करता है, जिससे पाचन की प्रक्रिया सरल और प्रभावी बनती है।
जानिए अनुलोम-विलोम करने का सही तरीका
सबसे पहले एक शांत और हवादार स्थान पर आराम से बैठ जाएं। ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ सीधी हो।
अपने दाएं हाथ की अंगुली से दाहिने नथुने को बंद करें।
बाएं नथुने से गहरी श्वास लें और दाहिने नथुने से उसे बाहर छोड़ें।
फिर बाएं नथुने से श्वास लें और दाहिने नथुने से उसे बाहर छोड़ें।
इस प्रक्रिया को 10 से 15 मिनट तक धीरे-धीरे करें और धीरे-धीरे इसे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।