प्रतीकात्मक तस्वीर
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने सोमवार, 28 अक्टूबर को जानकारी दी कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के कारण इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 29 प्रतिशत की कमी आई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर राज्य-विशिष्ट योजना को लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण पाना है।
सरकारी बयान के अनुसार, यह योजना पंचायतों को पराली जलाने के शून्य मामलों का लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। इस साल, 713 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुई घटनाओं की तुलना में 29 प्रतिशत कम है। यह स्पष्ट करता है कि सरकार के प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बयान में बताया गया कि पराली जलाने के आरोप में 192 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपनी नीतियों को लागू करने में गंभीर है।
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हरियाणा सरकार ने किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिसमें फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ और वैकल्पिक उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है। यह पहल किसानों को पराली जलाने के बजाय सही तरीके से फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करती है।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न केवल पर्यावरण को बचाना है, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को यह समझने की आवश्यकता है कि पराली जलाना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक है।
हरियाणा सरकार की इस पहल से प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है, साथ ही साथ किसानों के लिए एक टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर भी मिलेगा। आने वाले समय में, सरकार इस दिशा में और भी ठोस कदम उठाने की योजना बना रही है।
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