उदयपुर फाइल्स (फोटो-सोर्स, सोशल मीडिया)
Kanhaiya Lal Murder Case: राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस फिल्म में केंद्र सरकार की पांच सदस्यीय जांच समिति द्वारा सुझाए गए छह बदलावों को लेकर अब दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। अदालत ने पूछा है कि क्या केंद्र सरकार को सेंसर बोर्ड के निर्णयों से इतर खुद कट्स सुझाने का अधिकार है?
फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सीबीएफसी के समान अपील अथॉरिटी बनने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने पूछा, “केंद्र सरकार ने सीबीएफसी के निर्देशों से हटकर कौन से निर्देश दिए? क्या आप सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत सीमित दायरे में काम कर रहे हैं?”
गौर करने वाली बात ये है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ में कन्हैया लाल हत्याकांड को दर्शाया गया है, जिसके चलते इसे लेकर विवाद शुरू हो गया। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को कानूनी दायरे में रहकर ही कार्य करना चाहिए। इस केस में सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत सरकार के अधिकार और फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया में उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
फिल्म की समीक्षा के लिए गठित केंद्र सरकार की कमेटी ने जिन बदलावों की सिफारिश की है, उनमें शामिल हैं:-
इसके अलावा एक डायलॉग जिसमें कहा गया, “मैंने तो वही कहा है जो उनके धर्म ग्रंथों में लिखा है”, को भी हटाने की सिफारिश की गई है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि फिल्म को दो चरणों में जांचा गया। जिसमें सीबीएफसी ने 55 कट्स और केंद्र सरकार ने 6 अतिरिक्त कट्स का सुझाव दिया था।
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हालांकि,अब इस बहुचर्चित फिल्म को लेकर अंतिम सुनवाई 8 अगस्त को होगी। इस सुनवाई में यह तय हो सकता है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ को किस रूप में रिलीज की अनुमति दी जाएगी और सेंसर प्रक्रिया में केंद्र की भूमिका की सीमा क्या होगी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)