सरजमीन रिव्यू: भारत-पाकिस्तान के बीच बाप-बेटे की भावुक कहानी
Sarzameen Review In Hindi: भारत और पाकिस्तान को लेकर इस समय तनाव का माहौल बना हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान की तरफ से उकसावे की कार्रवाई की गई थी। इसके बाद भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर चला कर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारत और पाकिस्तान पर बनने वाली फिल्म हमेशा ही दर्शकों को पसंद आती है। सरजमीन फिल्म में भी भारत और पाकिस्तान का ही मुद्दा है। फिल्म देखकर आपको यह लगेगा कि इब्राहिम अली खान ने इस फिल्म में नादानी नहीं की, काजोल सेकंड इनिंग में सफल साबित हुई हैं। वहीं पृथ्वीराज सुकुमारन अच्छी एक्टिंग के लिए पहचाने जाते हैं और उन्होंने वह काम बखूबी किया है। मतलब फिल्म अच्छी है।
कहानी: सरजमीन फिल्म की कहानी में नया कुछ भी नहीं है, लेकिन इसे पेश करने का तरीका बहुत दिलचस्प है। फिल्म की कहानी में कर्नल विजय मेनन (पृथ्वीराज सुकुमारन) को दिखाया गया है, जो अपनी पत्नी मेहर मेनन (काजोल) के साथ रहते हैं। विजय मेनन देशभक्त हैं और देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं, लेकिन दुश्मन देश के आतंकवादियों की नजर उनके बेटे हरमन मेनन (इब्राहिम अली खान) पर है। बेटे का सहारा लेकर आतंकवादी विजय मेनन से देशद्रोह करवाना चाहते हैं। विजय मेनन के साथ क्या होता है? आतंकवादी अपने मंसूबे में कामयाब होते हैं या नहीं? यह सब कुछ जानने के लिए आपको फिल्म देखना होगा।
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एक्टिंग: काजोल ने सेकंड इनिंग में भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाबी हासिल की है और वह सरजमीन फिल्म में भी जबरदस्त एक्टिंग करते हुए नजर आई हैं। पृथ्वीराज सुकुमारन बेहतरीन एक्टिंग के लिए पहचाने जाते हैं और उन्होंने सरजमीन फिल्म में इसका परिचय एक बार फिर दे दिया है। इब्राहिम अली खान की नादानियां देखकर उनकी आलोचना करने वालों को ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए, क्योंकि इसे देखकर यह लगेगा कि इब्राहिम अली खान ने वो नादानी सरजमीन फिल्म में नहीं की जिसके लिए उन्हें नादानियां फिल्म में आलोचना झेलनी पड़ी थी। हालांकि यह इब्राहिम अली खान का पहला प्रोजेक्ट था और यह उनकी सही मायने में डेब्यू फिल्म होती और अगर यह फिल्म पहले आती तो यकीनन इब्राहिम अली खान को लेकर लोगों की सोच थोड़ी बदल जाती।
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डायरेक्शन और संगीत: फिल्म को कायोज ईरानी ने डायरेक्ट किया है जबकि इसकी कहानी आयुष सोनी ने लिखी है। फिल्म देखने के बाद राइटिंग और डायरेक्शन में कहीं भी कमी नजर नहीं आती है। फिल्म बहुत ज्यादा खींची हुई भी नहीं है। फिल्म देखते वक्त एक बार भी फिल्म से हटने का मन नहीं करेगा। यह फिल्म देश भक्ति से भरी हुई है। फिल्म का संगीत भी ठीक-ठाक है। संगीत और बेहतर हो सकता था। बैकग्राउंड म्यूजिक की अगर बात करें तो ये जबरदस्त है।
क्यों देखें फिल्म: अगर आप देशभक्ति फिल्में देखना पसंद करते हैं, तो यह फिल्म बिल्कुल आपके लिए है। यह आपको निराश नहीं करेगी।