राज कपूर (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर, 1924 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। राज कपूर को हिंदी सिनेमा जगत का शोमैन कहा जाता है। राज कपूर ने बॉलीवुड को तमाम हिट और यादगार फिल्में दी है। इतना ही नहीं राज कपूर भारतीय सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता थे जिनकी लोकप्रियता देश के साथ-साथ विदेशों में भी है। राज कपूर को विदेशों में भी खूब प्यार मिला। रूस में उनके चाहने वाले ऐसे थे कि उनकी एक झलक पाने के लिए मर मिटते थे।
साल 1955 में रूस में राज कपूर की मशहूर फिल्म ‘श्री 420’ रिलीज हुई। किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये फिल्म वहां धूम मचा देगी। रूसी लोगों को ये देखकर बहुत खुशी हुई कि कोई इंसान अपने रिश्तों के लिए कितना कुछ कर सकता है। राज कपूर के ऑन-स्क्रीन रोमांस, गानों और फिल्म के आखिर में मिले ‘अच्छाई की जीत’ वाले संदेश ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। रातों-रात वो रूस के लिए एक स्टार बन चुके थे।
राज कपूर की फिल्म ‘आवारा’ ने उन्हें रूस में वो शोहरत दिलाई जो आज तक किसी और बॉलीवुड स्टार को वहां नहीं मिली। फिल्म का गाना ‘मेरा जूता है जापानी’ वहां पर काफी प्रसिद्ध हुआ। गाना रूसियों को इतना बढ़िया लगा कि बच्चे, बड़े और बूढ़े ही नहीं सरकारी लोग भी इसके दीवाने हो गए। राज कपूर की फिल्मों के गाने वहां हर किसी की जुबान पर होते थे।
रूस में राज कपूर को लोकप्रिय बनाने के पीछे उनकी फिल्म ‘आवारा’ के इस गाने ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस फिल्म के इस गाने के जो बोल हैं जैसे-‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।’ इसमें जापानी जूते को पैरों में बताया गया और रूसी टोपी को सिर पर रखा गया। उस समय जापान और रूस के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। ऐसे में जब रूस ने देखा कि राज कपूर ने अपने गाने में जापान को नीचे बताया है, तो सब ने उन्हें कॉमरेड मान लिया।
साल 1960 में जब राज कपूर अपनी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के सिलसिले में रशियन सर्कस में बात करने गए थे। उस दौरान वे लंदन में थे, तभी अचानक उन्हें रूस (मॉस्को) जाना पड़ा। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह अपना वीजा लाना भूल गए है। लेकिन अप्रवासी होने के बावजूद वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने उन्हें बिना किसी परेशनी के देश में प्रवेश करने की अनुमति दे दी। इतना ही नहीं, एक बार तो मॉस्को एयरपोर्ट से एक बार बाहर निकलते वक्त उन्हें देखने वालों की भीड़ ऐसी थी जिसका कोई जवाब नहीं था।